राजसमंद। श्रीद्वारकेश राष्ट्रीय साहित्य परिषद कांकरोली एवं राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को श्रीद्वारिकाधीश मंदिर मंडप सभागार में गोस्वामी पराग कुमार एवं नैमिष कुमार के मुख्य आतिथ्य में ब्रज भाषा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता राष्ट्रीय कवि गिरीश विद्रोही ने की जबकि विशिष्ठ अतिथि विट्ठल पारिख, श्याम देवपुरा, जगदीशचन्द्र खण्डेलवाल थे। गोष्ठी में संस्थापक फतहलाल गुर्जर अनोखा ने अतिथियों का ईकलाई पहनाकर स्वागत किया गया। ज्योति गुर्जर ने अनोखा रचित प्रभु वंदना जय जय श्रीद्वारिकाधीश जगत के ईश... से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संस्था अध्यक्ष डॉ. राकेश तेलंग ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए गोस्वामी ब्रजभुषण महाराज की ब्रज भाषा सेवाओं पर पत्र वाचन कर जानकारी दी। विट्ठल पारिख ने ब्रज वंदना प्रस्तुत की। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए कवि प्रमोद सनाढ्य ने भोर को सूरज चरम चूम के..., दुर्गाशंकर मधु ने रण बंका रै वीर, सीमा पै डर जईयौ..., फतहलाल अनोखा ने रंग रेजवा, तीर रंगन रंग दे चीर..., कमलचन्द्र कमल ने कांकरोली मेरी जन्म भूमि लगै..., पीरदान आरजू ने गरूड़ की सवारी छोड़, नंगे पैर धायौ है..., जितेन्द्र सनाढ्य ने कर जोरि कै खड़ो उद्धव..., रविनंदन चारण ने ब्रज वासिन की का बड़ाई करूं..., त्रिलोक मोहन पुरोहित ने रामायण से सीता संवाद सुनाया तो बाल कवि गौरव पालीवाल ने द्वारकाधीश, श्रीनाथजी व नाथद्वारा पर छंदों का वाचन किया। इस दौरान सभी अतिथियों ने गोष्ठी को सम्बोधित किया। कवि गिरीश विद्रोही ने तेरी बांसुरी के सुर मेरे कानन में तो आवे दे गीतिका प्रस्तुत कर तालियां बटोरी। महाराज ने सभी कवियों को प्रसाद भेंट कर एवं ईकलाई ओढ़ाकर स्वागत किया। गोस्वामी नैमिष कुमार ने अपने उद्बोधन में अपने दादाजी गोस्वामी ब्रजभुषण महाराज की ब्रज भाषा सेवाओं से लेकर अद्यतन संस्था के कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए आशीर्वचन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर सोहन प्रकाश, चतुर कोठारी, नारायणसिंह राव, कुसुम अग्रवाल, ज्योत्सना पोखरना, यशवन्त, मनीष नंदवाना, दर्शन दाऊ पालीवाल सहित्य कई साहित्कार एवं कविगण उपस्थित थे। आभार सचिव सूर्यप्रकाश दीक्षित ने ज्ञापित किया।
फोटो - श्रीद्वारिकाधीश मंदिर मंडप सभागार में आयोजित ब्रज भाषा काव्य गोष्ठी में काव्यपाठ करते कवि उपस्थित साहित्यकार।