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कौन थीं फातिमा बीवी जिन्हें मिला पद्म भूषण?, लोगों के विरोध के बावजूद ऐसे बनीं देश की पहली महिला जज

अन्य ख़बरे Published by: Pushplata Updated Sat, 27 Jan 2024 01:20 PM
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सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश रहीं एम. फातिमा बीबी को भारत सरकार ने पद्मभूषण सम्मान देने का ऐलान किया है। देश की शीर्ष अदालत में नियुक्ति के बाद न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी ने अपने फैसलों से न केवल न्यायपालिका की गरिमा को बढ़ाया, बल्कि कानूनी पेशे में महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए रास्ता भी खोला। न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी का जन्म 1927 में केरल के पथानमथिट्टा में हुआ था। उनके पिता का नाम अन्नवीटिल मीरा साहिब और मां का नाम खदीजा बीवी था। वह अपने माता-पिता की सबसे बड़ी संतान थीं। उनके पिता अन्नवीटिल मीरा साहिब एक सरकारी कर्मचारी थे और रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट में काम करते थे। उन्होंने बेटियों को पढ़ाने में कभी कोई कमी नहीं होने दीं। न्यायमूर्ति फातिमा बीवी ने उस समय उच्च शिक्षा और खास तौर पर लॉ की डिग्री ली थीं, जिस वक्त मुस्लिम घरों की लड़कियां बहुत कम ही स्कूल या कॉलेज तक जा पाती थीं।

बार काउंसिल से स्वर्ण पदक पाने वाली पहली महिला लॉ ग्रेजुएट बनीं

पथानामथिट्टा के कैथोलिक स्कूल से शुरुआती शिक्षा लेने के बाद उन्होंने महिला कॉलेज से केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद पिता के कहने पर उन्होंने तिरुवनंतपुरम के एक सरकारी लॉ कॉलेज से लॉ में मास्टर डिग्री ली। 1950 में जस्टिस फातिमा बीवी बार काउंसिल से स्वर्ण पदक पाने वाली पहली महिला लॉ ग्रेजुएट बनीं। इसके बाद उन्होंने कोल्लम जिला अदालत में जूनियर वकील के रूप में दाखिला लिया। उस समय मुस्लिम समुदाय को उनका अदालत जाना पसंद नहीं था, लेकिन फातिमा बीवी ने कभी उनकी परवाह नहीं की।

एम फातिमा बीवी ने कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले सुनाए

वह हिजाब पहनकर अदालत जाती थीं। बाद में उन्होंने सरकारी परीक्षा को सफलता पूर्वक पास कर मुंसिफ मजिस्ट्रेट बनीं। 1974 में वह जिला एवं सत्र न्यायाधीश बन गईं। 1983 में वह केरल हाईकोर्ट की न्यायाधीश नियुक्त हुईं और छह साल बाद प्रमोट होकर 1989 मेंकी न्यायाधीश बनी। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण मुकदमों का निपटारा किया और अहम फैसले सुनाए।

शीर्ष अदालत से रिटायर होने के बाद उन्होंनेमानवाधिकार आयोग के सदस्य औरके राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। हालांकि एक राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल विवादित रहा। तमिलनाडु में 2001 के विधानसभा चुनावों में जे जयललिता के नेतृत्व वाली एआईएडीएमके ने बहुमत हासिल किया था, लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें छह साल के लिए चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था।

राज्यपाल जस्टिस एम फातिमा बीवी ने जयललिता को न सिर्फ सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया, बल्कि वह उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के लिए भी तैयार थीं। बीवी का मानना था कि बहुमत दल ने उन्हें अन्नाद्रमुक के संसदीय दल का नेता चुना है। हालांकि केंद्र सरकार को यह पसंद नहीं आया। केंद्र ने राज्यपाल को इस आधार पर हटाने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश की कि राजभवन अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रहा है। इसके बाद उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया।

उनका 23 नवंबर, 2023 को केरल के कोल्लम में 96 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया था। न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी सिर्फ शीर्ष न्यायालय की ही पहली महिला जज नहीं थीं, बल्कि बार काउंसिल में गोल्ड मेडल जीतने वाली भी पहली महिला थीं।

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