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मणिपुर में फिर तनाव, बस नेटवर्क से राज्य का नाम हटाने पर भड़के लोग, जमकर हुआ बवाल

अन्य ख़बरे Published by: indoremeripehchan.in Updated Mon, 26 May 2025 10:51 AM
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मणिपुर में फिर तनाव, बस नेटवर्क से राज्य का नाम हटाने पर भड़के लोग, जमकर हुआ बवाल
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मणिपुर.

पिछले दो साल हिंसा की आग में झुलस रहा पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में एक बार फिर से तनाव उत्पन्न हो गया है। बस नेटवर्क से राज्य का नाम हटाने पर लोग भड़क गए हैं। रविवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने राज्य की अस्मिता से जुड़े विवादित मुद्दे को लेकर राजभवन की ओर मार्च किया। प्रदर्शनकारियों को सुरक्षाबलों ने कांगला गेट के पास रोकने की कोशिश की, जिससे झड़प हो गई और आंसू गैस के गोले दागे गए, जिसमें पांच से अधिक महिलाएं घायल हो गईं। यह प्रदर्शन COCOMI (Coordinating Committee on Manipur Integrity) के आह्वान पर किया गया।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि राज्यपाल अपनी चुप्पी से लोगों की भावनाओं की अवहेलना कर रहे हैं। उन्होंने और उनके प्रशासन ने राज्य का प्रशासन करते हुए राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का अपमान किया है। घटना की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित जांच आयोग पर्याप्त नहीं है और इसमें शामिल लोगों को दंडित करने के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है, जो कि अस्वीकार्य है।

COCOMI ने चेतावनी दी है कि अगर इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे राज्य में व्यापक आंदोलन किया जाएगा। प्रदर्शनकारियों ने इंफाल के ख्वाइरंबंद इलाके से लगभग 500 मीटर लंबा मार्च निकाला, लेकिन राजभवन से करीब 150 मीटर पहले उन्हें रोक दिया गया। इसके बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई और पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया।

मैतेई समूह ने रविवार से सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है। इस बीच मैतेई समूहों के संयुक्त मंच COCOMI का 7 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार (27 मई) को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात करेगा। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल राज्य परिवहन की बस पर से मणिपुर नाम हटाने के साथ ही विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेगा।

3 अधिकारियों के इस्तीफे की मांग

COCOMI के संयोजक अथौबा ने कहा कि हमारा मकसद दीर्घकालिक संकट के संबंध में लंबित राजनीतिक और सुरक्षा प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाना है। हालांकि हाल ही में ग्वालटाबी की घटना और उसके परिणामस्वरूप पैदा हुई सार्वजनिक अशांति के मद्देनजर अब एजेंडा का विस्तार हो गया है। अथौबा ने शीर्ष 3 अधिकारियों के इस्तीफे या उनके स्थानांतरण की मांग को दोहराते हुए दावा किया कि उन्हें अक्षम और राज्य विरोधी निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है जिसकी वजह से हालात और बिगड़ गए हैं।

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