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मास्क नहीं पहनने वाले या कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों से पुलिस को मारपीट का अधिकार नहीं : हाई कोर्ट

अन्य ख़बरे Published by: Paliwalwani Updated Fri, 28 May 2021 01:44 PM
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इंदौर । अक्सर शिकायत मिलती है कि कोरोना कर्फ्यू के उल्लंघन के नाम पर पुलिस आम नागरिकों के साथ मारपीट पर उतर आती है। कभी इस बात पर पीट दिया जाता है कि मास्क नाक के नीचे पहना है तो कभी इसलिए कि दो गज की दूरी के नियम का पालन नहीं किया है। कुछ ओर नहीं तो कोरोना कर्फ्यू में बेवजह घर से बाहर निकलने का आरोप लगाते हुए पीट दिया जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पुलिस को मास्क नहीं पहनने, शारीरिक दूरी का पालन नहीं करने या कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों के साथ मारपीट करने का अधिकार नहीं है।

कोर्ट ने कहा है कि पुलिस कानून के दायरे में रहकर कार्रवाई करे। नागरिकों को समझाइश दें कि क्यों उनके लिए कोरोना की गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है। कानून की पढ़ाई कर रहे चार युवाओं की तरफ से दायर याचिका में कोर्ट ने यह आदेश दिया है।

परदेशीपुरा पुलिस थाने में पदस्थ आरक्षक महेश प्रजापति और गोपाल जाट ने 7 अप्रैल 2021 को मालवा मिल गेट के पास एक रिक्शा चालक को सिर्फ इसलिए पीट दिया था कि उसने मास्क नाक के नीचे पहना था। रिक्शा चालक पुलिसकर्मियों को बताया कि उसके पिता अस्पताल में भर्ती हैं और वह उन्हें देखने जा रहा है। इस वजह से वह मास्क पर ध्यान नहीं दे सका। इस पर आरक्षक रिक्शा चालक को थाने ले जाने लगे जब उसने थाने जाने से इंकार किया तो उसकी जमकर पिटाई कर दी गई।

रिक्शा चालक के साथ उसका बेटा भी मौके पर मौजूद था। वह पुलिसकर्मियों से गुहार लगाता रहा कि वे उसके पिता को मारे नहीं लेकिन पुलिसकर्मी नहीं माने। मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था। कानून के विद्यार्थी ओशिन शर्मा, हुजैफा मलिक, पूर्णश्री शर्मा और मुस्कान पाटीदार को जब इस घटना की जानकारी लगी तो उन्होंने एडवोकेट शन्नो शगुफ्ता खान के माध्यम से हाई कोर्ट में जनहित याचिका प्रस्तुत की। याचिका में कहा कि प्रदेशभर से पुलिस द्वारा आम नागरिकों के साथ मारपीट की शिकायतें आती हैं। आम नागरिक ही नहीं पुलिस वकील, पत्रकारों के साथ भी मारपीट कर चुकी है।

याचिका में गुहार लगाई गई कि कोर्ट ऐसे दिशा निर्देश जारी करे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। कोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए स्पष्ट किया कि पुलिस कर्फ्यू का उल्लंघन करने वाले, मास्क नहीं पहनने वाले या शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने वालों के साथ मारपीट करने के बजाय उन्हें समझाइश दे। पुलिस कानून के दायरे में रहकर चालानी कार्रवाई तो कर सकती है लेकिन उसे मारपीट करने का अधिकार नहीं है।

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