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नमक पानी का गरारे करने से पता चल जाएगा कोरोना है या नहीं, नई तकनीक को ICMR ने दी मंजूरी

अन्य ख़बरे Published by: Paliwalwani Updated Sat, 29 May 2021 08:04 PM
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नई दिल्ली । देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है। हर दिन कोरोना वायरस के नए मामले सामने आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण से मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने कोरोना गाइड लाइन को 30 जून तक बढ़ा दिया है। वहीं इस बीच कई राज्यों में भी लॉकडाउन बढ़ाया गया है।

कोरोना के लक्षण वाले लोगों की लंबी – लंबी कतारें कोविड परीक्षण सेंटर के बाहर देखी जा रही हैं। कई राज्य सरकारों ने प्रदेश में एंट्री के लिए आरटी-पीसीआर जांच जरुरी की है। इन सबके बीच काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की है, जिसकी सहायता से 180 मिनट यानि 3 घंटे में ही पता चल जाएगा कि आप कोविड से पीड़ित है या नहीं। गरारा तकनीकको आईसीएमआर ने भी मंजूरी दे दी है।

इस टेस्ट में स्वैब का स्टोरेज करना जरुरी लेना जरूरी नहीं होगा। इसमें एक ट्यूब होगी, जिसमें सलाइन होगा। लोगों को कोरोना की जांच के लिए इस सलाइन को मुंह में डालने और फिर 15 सेकंड तक गरारा करने की जरूरत होगी। जब शख्स गरारा कर लेगा फिर उसे ट्यूब में थूकना होगा और टेस्टिंग के लिए दे देना होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस तकनीक को रिमार्कबल इनोवेशन करार दिया है। उन्होंने कहा, ”यह स्वैब फ्री तकनीक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।”

नीरी के पर्यावरण वायरोलॉजी सेल के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. कृष्णा खैरनार ने बताया, ”सैंपल कलेक्शन को आसान और पेशेंट फ्रेंडली बनाने के लिए नीरी ने सोचा था। कम से कम पेशेंट को तकलीफ पहुंचा कर कलेक्शन ले सकते हैं। सलाइन को पीना पड़ता है और फिर गरारा करना पड़ता है। तीन घंटे में हम आरटी-पीसीआर वाली रिपोर्ट दे सकते हैं। हमें अभी आईसीएमआर की मंजूरी मिल गई है और बाकी लैब्स को ट्रेनिंग देने के लिए हमसे कहा गया है। नीरी में आज पहला बैच आया है, जिसकी टेस्टिंग बाकी है।” उन्होंने आगे बताया कि लोग खुद से भी यह टेस्टिंग कर सकेंगे, जिससे टेस्टिंग सेंटर पर भीड़ नहीं लगेगी और इससे काफी समय भी बचेगा। साथ ही सेंटर पर दूसरों से संक्रमित होने का खतरा भी नहीं होगा।

वैश्विक महामारी कोविड-19 का प्रकोप शुरू होने के बाद से ही भारत अपने यहां इसकी जांच (परीक्षण) के बुनियादी ढांचे और क्षमता को बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रहा है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) के वैज्ञानिकों ने इस कड़ी में एक और कीर्तिमान बना लिया है जिसके अंतर्गत जिसमें कोविड​​​​-19 के नमूनों के परीक्षण के लिए ‘नमक के पानी से गरारे (सलाइन गार्गल) आरटी-पीसीआर विधि’ ढूंढ ली गयी है।

नमक के पानी से गगारे (सेलाइन गार्गल) की इस विधि से कई प्रकार के लाभ एक साथ मिलते हैं। यह विधि सरल, तेज, लागत प्रभावी, रोगी के अनुकूल और आरामदायक है और इससे परिणाम भी जल्दी मिलते हैं। न्यूनतम बुनियादी ढांचा आवश्यकताओं को देखते हुए यह विधि ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। पत्र सूचना कार्यालय से बातचीत में राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसन्धान संस्थान (एनईईआरआई) में पर्यावरण विषाणु विज्ञान प्रकोष्ठ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कृष्णा खैरनार ने कहा कि : “स्वैब संग्रह विधि के लिए समय की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, चूंकि इस तकनीक में सम्भावित संक्रमितों जांच के दौरान कुछ असुविधा का सामना भी करना पढ़ सकता है जिससे वे कभी-कभी असहज भी हो सकते। साथ ही इस प्रकार से एकत्र किए गए नमूनों को एकत्रीकरण केंद्र और जांच केंद्र तक ले जाने में भी कुछ समय लगता है। वहीं दूसरी ओर, नमक के पानी से गरारे (सेलाइन गार्गल) की आरटी-पीसीआर विधि तत्काल, आरामदायक और रोगी के अनुकूल है। नमूना तुरंत ले लिया जाता है और तीन घंटे में ही परिणाम मिल जाएगा।”

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