खरगोन : नागेश्वर महिला मंदिर समिति द्वारा आयोजित श्री हरिहर शिवमहापुराण कथा के दूसरे दिन बुधवार को लगभग एक लाख शिवभक्तों ने कथा का श्रवण किया. उक्त उद्गार भीकनगांव में श्री हरिहर शिवमहापुराण कथा के द्वितीय दिवस पर पंडित प्रदीप मिश्रा के श्रीमुख से अपने कर्म के प्रति जिस दिन तुम जागरूक हो जाओगे. उस दिन तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति निश्चित है. कर्म का फल जरूर मिलता है. श्री शिवपुराण में भी लिखा है कि स्वयं कर्म करोगे तो दुख घटना शुरू हो जाएगा.
उन्होंने बताया कि सूर्य नारायण भगवान के रथ का पहिया एक ही है. अश्व सात हैं, चालक विकलांग हैं, रास सांपों की है, रास्ता ऊबड़-खाबड़ है.. मगर फिर भी उनका कर्म पक्का है. किसी ने सूर्य नारायण भगवान से कहा कि आप प्रतिदिन नियमित संसार को रोशनी देते हैं, फिर भी दूसरे देवों के अनुरूप आपकी पूजा नहीं होती. इस पर सूर्य नारायण भगवान ने कहा कि मेरा कर्म ही मेरी पूजा है...रोशनी देना मेरा कर्म है. पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिवभक्तों को शिव महिमा के अध्याय में ब्रह्मा जी के द्वारा पृथ्वी की रचना का वृतांत भी सुनाया.
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हमारे द्वारा किए गए अच्छे कर्मों के बाद यदि मन मे अहंकार का भाव आ गया तो उसका पुण्य लाभ हमें नहीं मिलता. यदि हम भगवान शिव का व्रत रखकर अभिमान करते हैं तो उस व्रत का वांछित फल हमें नहीं मिलता है. पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जीवन एक चक्र है, पवित्र गंगा जब गंगोत्री से निकलती तो उसका जल मीठा होता है, हरिद्वार, काशी में भी जल मीठा ही रहता है किंतु समुद्र में मिलकर उसका जल भी खारा हो जाता है. झूठ बोलने से हमारा पुण्य घटता है. गोमाता ने भगवान से एक बार झूठ बोला था तो उसका पूरा शरीर पूजनीय होने के बावजूद मुख पूजनीय नहीं है. इसी प्रकार एक झूठ के कारण सारे देवताओं चढ़ाए जाने वाले केतकी फूल का शिवजी पर चढ़ाना वर्जित हो गया.