कोविड काल में निजी स्कूल संचालकों की मनमानी और फीस बढ़ाने का दबाव बनाने के लिए हड़ताल की घोषणा से अभिभावक संघ भी मुखर हो चला है। अभिभावकों की ओर से नागरिक उपभोक्ता मंच ने निजी स्कूल एसोसिएशन को 48 घंटे का नोटिस भेजकर हड़ताल वापस लेने को कहा है। मंच ने चेतावनी दी है कि स्कूल एसोसिएशन ने हड़ताल वापस नहीं ली तो उनके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।
हाईकोर्ट ने 4 नवंबर 2020 को राज्य सरकार द्वारा 10फीस बढ़ाए जाने के मामले में निजी स्कूलों को लेकर बड़ा और स्पष्ट निर्णय दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जब तक कोविड का संक्रमण रहेगा और स्कूल पहले की स्थित में सामान्य तरीके से खुल नहीं जाते, तब तक कोई भी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा कोई शुल्क नहीं ले सकता है।
कोर्ट के इसी आदेश का हवाला नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की ओर से नाेटिस में दिया गया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि फीस बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल करना एक तरह से हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना होगी। मंच की ये याचिका कोर्ट में लंबित है। इसमें निजी स्कूल एसोसिएशन को अनावेदक बनाया गया है। एसोसिएशन को अपना पक्ष हाईकोर्ट में पेश करना चाहिए, न कि हड़ताल करना चाहिए।
निजी स्कूल एसोसिएशन 12 जुलाई से 8 सूत्रीय मांग को लेकर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि वे ऑनलाइन क्लास बंद कर देंगे। एसोसिएशन की कई मांग को अभिभावक एसोसिएशन ने गलत बताया है। आरोप लगाया है कि निजी स्कूल संचालकों ने ट्यूशन फीस तक बढ़ा दी है। एसोसिएशन की ये है आठ सूत्रीय मांग-
निजी स्कूलों को आर्थिक पैकेज, बिजली के अनुसार बिल लेने व पुराने बिल को समायोजित किया जाए, संपत्ति कर, स्कूल वाहनों का रोड टैक्स, परमिट आदि में राहत प्रदान की जाए। वहीं आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले बच्चों के एवज में बकाया राशि का भुगतान किया जाए।