रतलाम. वैसे तो हर दिन पिता दिवस होता है किंतु आज निर्धारित पिता दिवस है. अर्थात जिसके द्वारा हमे नाम, यश, एवं कीर्ति मिली, पिता की बदौलत आज हम इस संसार में जाने जाते हैं. दुनिया के सभी ईश्वर तुल्य पिता को सादर नमन करते हुए पिता को शब्दों के रूप में प्रकट करते हुए पत्रकार जगदीश राठौर की कलम कहती है कि पिता नीम का पेड़ है. जो जरूरत पड़ने पर छाया और औषधि दोनों देती है. पिता’ माँ के प्यार दुलार का कवच हैं. पिता खुद पर निर्भर रहकर भी हमे आत्मनिर्भर बना देते हैं पिता-मोम जैसा ह््रदय रख कर भी चट्टान जैसा कठोर बना रहता है. पिता-हमारे सुनहरे भविष्य का आलेख है. पिता- बरगद की जड़े जैसे परिवार की सृष्टि हैं पिता-जीवन की अभिव्यक्ति है. पिता’ परिवार का कठोर अनुशासन है. पिता’ प्रेम से चलने वाला प्रशासन है. पिता’ मील का पत्थर है. पिता भटकते हुए मन का आकार हैं. पिता मेरे स्वाभिमान का अभिमान है. पिता’ मौन रहकर भी लम्बा भाषण है. पिता बेटी का छत्र तो बेटे का अस्त्र है. पिता सब बच्चों का प्यारा और दुलारा होता है. आज मैं जो भी हूं, मेरे पिता की देन है वह मेरे मार्गदर्शक रहे. मेरे जीवन के कण कण में उनका प्रभाव पड़ा है. अपने साथ हमेशा ज्ञान के बंधन में मुझे बांधे रहते है. हर विषय मजबूत करना, लेखन सिखाना, बोलना सिखाना, गलत करने पर दण्ड देना, निष्ठा ईमानदारी से कार्य को करना, कार्य ही पूजा के सिद्धांत पर चलना, कितनी भी परेशानी आ जाये अपने स्वाभिमान एवं ईमानदारी को कभी मत भूलना आदि का समावेश करते. मैं अपने पूज्यनीय पिता को प्रणाम करते हुए आप सभी के पिता के चरणो में नमन करता हूं. वह व्यक्ति भाग्यशाली है जिनके पिता जीवित है और उनका आशीर्वाद सानिध्य में रहकर उन्हें प्राप्त होता हैं. अपने पिता की कद्र करो क्यों की जिनके पिता नही है, उनसे पूछिये की पिता की कमी कितना महसूस करते हैं क़्यों कि माता पिता के कदमो मे सही स्वर्ग हैं. दिमाग में दुनिया भर की टेंशन और लेकिन उससे भी कहीं ज्यादा अपने बच्चों की फ़िक्र करे वो शख्स और कोई नहीं वो हैं पिता...
● पालीवाल वाणी मीडिया नेटवर्क.जगदीश राठौर...✍️