रायसेन :
मध्यप्रदेश के रायसेन से 150 किलोमीटर दूर अनघोरा गांव। यहां नर्मदा घाट पर इन दिनों धुंध छाई हुई है। यह धुंध न तो कोहरा है और न ही किसी पदार्थ के जलने से निकलने वाला धुंआ। असल में यहां 20 एकड़ में देश में एकता और विश्व कल्याण के लिए 100 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन हो रहा है। इसके लिए 11 मंजिला यज्ञशाला बनाई गई है। रोज 15 क्विंटल हवन सामग्री से यजमान आहुति दे रहे हैं।
अनघोरा गांव उदयपुरा तहसील के देवरी क्षेत्र में आता है। शांति और देश कल्याण के उद्देश्य के लिए यह यज्ञ का आयोजन 22 जनवरी से हो रहा है। यज्ञशाला 2250 वर्ग फीट में बनी है। यज्ञ शाला में सुबह 9 से 12 बजे और दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक यज्ञ में आहुति दी जाती है। इसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।
100 कुंडीय यज्ञ में रोज 15 क्विंटल हवन सामग्री तैयार की जा रही है। तिल, जों, गुड़, चावल के साथ घी को मिलाकर हवन सामग्री बनाने के लिए मिक्सर मशीन रखी गई है। 5 फरवरी तक चलने वाला यह महायज्ञ श्रीश्री 1008 आत्मानंद त्यागी महाराज नेपाली बाबा के मार्गदर्शन में हो रहा है। सुबह 5 से 7 बजे तक शिवलिंग अभिषेक, 10 बजे से शाम 5 बजे तक पंडित रामविलास वेदांती और स्वामी नित्यानंद गिरी महाराज भागवत कथा का वाचन कर रहे हैं। यज्ञशाला में रोजाना 15 क्विंटल हवन सामग्री का उपयोग आहुति के लिए किया जा रहा है। यज्ञ स्थल 20 एकड़ में फैला हुआ है। यहां 2250 फीट में यज्ञशाला बनाई गई है। यहां रोज 50 हजार से ज्यादा लोगों के लिए भंडारे की व्यवस्था भी की गई हैं।
3 एकड़ की जगह में 5 स्थानों पर अलग-अलग भंडारे चल रहे हैं। इसमें श्रद्धालु संतों, विद्वानों और हवन कर्ता को दाल, चावल, पूड़ी, सब्जी और नुकती की प्रसादी परोसी जाती है इसकी व्यवस्था के लिए अलग-अलग समिति बनाई गई है। इसमें 10 से 12 सदस्य शामिल है। सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक भंडारा जारी रहता है। 90 हलवाई और कर्मचारी भोजन तैयार करते हैं। 2 लाख 21 हजार में भोजन बनाने का ठेका दिया गया था।
100 कुंडीय महायज्ञ में अब तक 6 से 7 लाख लोग आहुति दे चुके हैं। 11 मंजिला यज्ञशाला में 8 से 10 जिले के जजमान यज्ञ में 24 हजार वाल्मीकि रामायण दोहा की आहुति छोड़ रहे हैं। यह महायज्ञ श्री श्री 1008 आत्मानंद त्यागी महाराज नेपाली बाबा के मार्गदर्शन में चल रहा है। देश में एकता और विश्व शांति के लिए यज्ञ 5 फरवरी तक चलेगा।
अनघोरा गांव के सरपंच प्रतिनिधि हरेंद्र सिंह परमार की 18 एकड़ में मसूर की फसल लगी थी, लेकिन जब आयोजन समिति द्वारा यज्ञ कराने का प्रस्ताव उनके सामने रखा गया तो उन्होंने अपनी 18 एकड़ में लगी 10 लाख की फसल को दान कर दी।
टेंट की सामग्री को मथुरा से अनघोरा तक लाने में करीब 8 लाख रुपए का खर्च आया है, जबकि टेंट का किराया 20 लाख रुपए से अधिक है। इस टेंट को 4-5 भागों में लगाया गया है।
यज्ञ स्थल पर 180 गुणा 180 वर्ग फीट में यज्ञशाला का निर्माण किया गया है। इसके लिए सैकड़ों की 484 नीलगिरी की बल्लियों लाई गईं जो 40 फीट से भी अधिक लंबी हैं। वहीं, 35 ट्रॉली से अधिक बांस और 10 ट्राॅली घास से तैयार की गई है। 15 प्रवेश द्वार बनाए गए हैं, जो चारों दिशाओं में हैं। इसमें देवरी, उदयपुरा, बरेली, सिलवानी, सियरमऊ, गाडरवारा, बोरास रोड अनघोरा मुरपार पर हैं। वहीं, 7 प्रवेश द्वार शाही हैं। इनमें से प्रत्येक द्वार की लागत 1 लाख रुपए से अधिक है। बिहार से आए कलाकारों द्वारा इन्हें तैयार किया गया है। इनमें हरे, लाल, पीले रंग का उपयोग किया गया है।
अनघोरा यज्ञ (मिनी कुंभ) को लेकर 108 समितियां यज्ञ वाले 9 दिनों तक सीता राम नाम का जाप कर रही है। एक समिति में 12 सदस्य शामिल किए गए हैं। 3 वाहन समितियां बनाने के ही काम में लगाए गए हैं। यज्ञ स्थल के आसपास 55 से 60 गांव में इन समितियों को बनाने के लिए काम किया गया था। एक समिति में 12 लोग शामिल किए गए, इनमें से एक व्यक्ति को राम नाम वाला गमछा (रामनामा) और श्रीफल भेंट करके अध्यक्ष बनाया। समिति के सभी लोगों को यज्ञस्थल पर रुकने की व्यवस्था की गई है।
1008 समितियों में प्रत्येक समिति एक साथ सीता राम नाम का जाप कर रही है, लेकिन इसमें इस तरह की व्यवस्था की गई है कि एक समिति के 3-3 लोग 2-2 घंटे सीताराम नाम का जाप कर रहे हैं। सीता राम नाम का जाप भी बिना रुके 9 दिनों तक किया जाता रहेगा। इसका मतलब ये हुआ कि 9 दिनों तक पूरे समय 3000 लोग एक साथ सीताराम नाम का जाप कर रहे हैं।
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