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राष्ट्रीय कवि संगम इकाई जैसलमेर द्वारा पितृ दिवस एवं गंगा दशहरा पर काव्य धारा

जैसलमेर Published by: नलिनी पुरोहित Updated Mon, 21 Jun 2021 05:41 PM
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‘मिलते है विष सर्प यहॉं पर, चंदन नहीं मिलते है. तो गांधी और राम जैसे नंदन नहीं मिलते है.’ : नलिनी पुरोहित

जैसलमेर. विश्व में कवियों के सबसे वृहत्ताकार संगठन राष्ट्रीय कवि संगम इकाई जैसलमेर द्वारा पितृ दिवस एवं गंगा दशहरा के पावन पर्व पर पिता ही जीवन एक काव्यमाला शीर्षक से विराट ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन संपन्न हुआ. जिला अध्यक्ष विजय कुमार बल्लाणी ने पालीवाल वाणी को बताया कि भारतीय संस्कृति में माता, पिता और गंगा नदी का अद्वितीय स्थान है. सनातन संस्कृति की शिक्षाओं को जीवन में उतार सुसभ्य नागरिक बनने की प्रेरणा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा सदैव किया जाता रहा हैं. इसी कड़ी में आयोजित इस कवि सम्मेलन में देश/विदेश के तीस साहित्य प्रेमियों ने भाग लेकर मरूधरा में काव्य धारा को प्रवाहित किया.

मीडिया प्रभारी गौतम व्यास ने पालीवाल वाणी को आगे बताया कि पिता ही जीवन एक काव्यमाला कवि सम्मेलन को तीन भागों में विभाजित कर जैसलमेर दर्शन यू ट्यूब जैसलमेर पर प्रसारित किया गया. प्रथम भाग में भविष्य के हस्ताक्षरों ने भाग लिया. युवा शक्ति ने अपने भावों एवं प्रस्तुति के माध्यम से सबकी वाह वाही लूटी. प्रथम भाग की अध्यक्षता दुबई वासी आशीष व्यास एवं मुख्य अतिथि सपना व्यास रही. इस भाग के अध्यक्ष आशीष व्यास ने ‘पिता वह जो जीना सीखाएॅं, इस गूढ़ संसार से लड़ना सीखाएॅं’ पंक्तियों द्वारा अपने भावों का व्यक्त किया. उदयपुर की सपना व्यास ने ‘मै तो हॅूं परी अपने पापा की’ द्वारा पिता और पुत्री के अटूट संबंधों का सुन्दर चित्रण किया. उदयपुर की नन्हीं परी आद्या पुरोहित ने ‘पिता में ही बसती सारी दुनिया है’ तो अहमदाबाद की कनिष्का भूतड़ा ने ‘मेरे पापा मेरी राह है’ पंक्तियों के माध्यम से अपने पिता के प्रेम को उजागर किया. युवा कवियित्री जैसलमेर की शिवानी व्यास ने ‘घर के वो शख्स है, जिनके हम अक्श है’, स्वाति पुरोहित जोधपुर ने ‘पिता वो नेक इंसान है, जिनसे बढ़कर ना दूजा भगवान है’, अहमदाबाद की माया भूतड़ा ने ‘हर पिता के भीतर एक मॉं होती है, जो दिखाई तो नहीं देती है पर महसूस होती है’ पंक्तियों के माध्यम से पिता की भिन्न-भिन्न भूमिकाओं का सुंदर वर्णन किया. ‘प्रारब्द्ध से हारा इक पिता, उस दिन सब हार जाता है, जब कर देता है अपनी बेटी का कन्यादान’ के माध्यम से उदयपुर की डॉ कुमुद पुरोहित ने पिता और पुत्री के भावानात्वक रिश्ते को परिभाषित किया. भविष्य के हस्ताक्षर युवा कवि आनंद हर्ष जोधपुर ने पिता के समान ना ही दूसरा जहान है की बात अपनी कविता में कही. पिता ही जीवन एक काव्यमाला कवि सम्मेलन के दूसरे भाग ‘मातृ शक्ति के सशक्त हस्ताक्षर’ में कवयित्रियों ने अपने काव्य पाठ से मंच की शोभा बढ़ा दी. अपने अध्यक्षीय काव्य पाठ में जोधपुर की नलिनी पुरोहित ने कवि सम्मेलन के तीनो विषयों पितृ दिवस, जगत् पिता श्री राम और गंगा नदी का समावेश किया. ‘मिलते है विष सर्प यहॉं पर, चंदन नहीं मिलते है. तो गांधी और राम जैसे नंदन नहीं मिलते है.’ के भावों के साथ सुन्दर व्यंग्य कसा. मुख्य अतिथि के रूप में जोधपुर की दीपा परिहार ने दोहों और भावपूर्ण गीत के द्वारा पिता को याद किया. पोकरण की मालती छंगाणी ने पिता को बच्चों के जीवन की अति सुन्दर परिभाषा से अलंकृत किया. बरनाला पंजाब से सुरूचि शर्मा ने पिता के सारे भावों को ‘नाराजगी में कम बोलते है, अच्छा बुरा ऑंखों से तौलते है पिता कुछ ऐसे होते है’ पंक्तियों में समेट लिया. उदयपुर की मयूरा मेहता ने पिता को ईश्वर को रूप बताते हुए एक सुन्दर गीत प्रस्तुत किया. उदयपुर की मधु मंडोवरा ने पिता को ईश्वर समान प्रतिमा बताया. ‘पितृ चरणों में कर प्रणाम शीश नवाती हॅू, स्मृतियों के श्रृद्धा सुमन पितृ श्री तुम्हें चढ़ाती हॅू’ पंक्तियों के माध्यम से कांकरोली की पुष्पा पालीवाल ने मंच को उसके सर्वश्रेष्ठ स्तर पर पहॅुचाया. उदयपुर की पुष्पा पालीवाल अमर ने मॉं के बाद पिता को दूसरा फरिश्ता बताते हुए अपना काव्य पाठ किया. कवि सम्मेलन का तीसरा भाग पौरूष बल के सक्षक्त हस्ताक्षरों द्वारा संपादित किया गया. इस भाग के अध्यक्ष उदयपुर के ख्यातनाम कवि श्रेणी दान चारण ने ‘जग घुमलियों सब जोय लियो, नहीं बाप समान है दूसरों कोई’ रचना के द्वारा पिता को जग में अद्वितीय बताया. ‘पिता पालक पहुम पर, पिता पुतर जिव प्राण मधुकर चामर मोजड़ी, तोय उतरै नी अहसांण’ पंक्तियों के माध्यम से मुख्य अतिथि भंवरदान मांडवा मधुकर ने अपना काव्य पाठ किया. पोकरण के अजय कुमार केवलिया ने आज बहुत आते है पिताजी कविता के माध्यम से पिता का याद किया. जैसलमेर के सुरेश कुमार हर्ष ने अपने जीवन के अनुभवों को शब्दों में पिरो कविता पाठ किया. भोजराज वैष्णव ने पिता के महत्व को दर्शाते हुए अपनी रचना प्रस्तुत की तो वही भोपालसिंह सोढ़ा ने पिता की गोद को फूलों की सेज बताया. अलवर के ताराचंद अग्रवाल कवि नहीं हूं मै बस कुछ पंक्तियां सरेआम करता हूं के द्वारा अपनी काव्य प्रतिभा का प्रदर्शन किया. जोधपुर के छगनराज राव ने पिता के प्रेम को अपने शब्दों में ‘जग दिखाया आज मुझको सुख दिया भरपूर’ के माध्यम से प्रदर्शित किया. भीलवाड़ा के ओम उज्ज्वल ने श्रीराम के यश को अपनी कविता में पिरोया. नाथ़द्वारा के शरद बागोरा ने नौ ग्रह की तुलना पिता से करते हुए काव्य सरिता बहाई. मदन क्षितिज जोधपुर ने अपने गुरू को पिता का दर्जा देते हुए गुरू के महत्व को प्रतिपादित किया. अहमदाबाद के अनेन्द्र भट्ट ने पिता को जान से प्यारा बताया. बाड़मेर के डॉ गोरधनसिंह सोढ़ा जहरीला ने वर्तमान व्यवस्थाओं पर व्यग्य कसते हुए अपनी कविता रामराज्य हमें लाना है सुनाई. मंच का सफल संचालन राष्ट्रीय कवि संगम इकाई जैसलमेर के महामंत्री मुकेश हर्ष भारत ने किया.

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