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State Bank of India : महंगी होगी लोन की EMI, स्टेट बैंक ने MCLR में किया 0.15 फीसदी का इजाफा

निवेश Published by: Paliwalwani Updated Thu, 17 Nov 2022 01:14 AM
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नई दिल्‍ली : देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) ने विभिन्न अवधि के ग्राहकों के लिए बड़ी खबर है और अब उनके लोन की ईएमआई और बढ़ने वाली है. दरअसल एसबीआई ने लोन को लेकर कोष की सीमान्त लागत आधारित ब्याज दर- मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लैंडिंग रेट्स (एमसीएलआर) में 0.15 फीसदी तक का इजाफा कर दिया है. इससे ज्यादातर कंज्यूमर लोन (consumer loan) महंगे हो जाएंगे क्योंकि होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन जैसे कर्ज एमसीएलआर से लिंक्ड होते हैं.

कितना बढ़ा दिया SBI ने MCLR

SBI ने एक साल की एमसीएलआर को 0.10 फीसदी बढ़ाकर 8.05 फीसदी किया है. अभी तक यह 7.95 फीसदी थी. एक साल की एमसीएलआर के बेस पर ही होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की दरें तय होती हैं. नई दरें 15 नवंबर, 2022 यानी आज से लागू हो गई हैं.

SBI ने अपनी वेबसाइट पर डाली जानकारी

एसबीआई की वेबसाइट पर डाले गए नोटिफिकेशन के मुताबिक, दो साल और तीन साल की एमसीएलआर को भी 0.10 फीसदी बढ़ाकर क्रमश: 8.25 और 8.35 फीसदी किया गया है.

इन लोन पर बढ़ी 0.15 फीसदी की MCLR

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने एक महीने और तीन महीने की एमसीएलआर को 0.15 फीसदी बढ़ाकर 7.75 फीसदी कर दिया है. छह महीने की एमसीएलआर को भी 0.15 फीसदी बढ़ाकर 8.05 फीसदी कर दिया है. इसके अलावा एक दिन की एमसीएलआर को 0.10 फीसदी बढ़ाकर 7.60 फीसदी कर दिया गया है.

हाल ही में आए एसबीआई के शानदार तिमाही नतीजे

भारतीय स्टेट बैंक ने दूसरी तिमाही का रिजल्ट हाल ही में जारी किए हैं. SBI ने अब तक का सबसे अधिक तिमाही मुनाफा 74 फीसदी अधिक दर्ज किया है. SBI को दूसरी तिमाही (SBI Q2 Results) में बंपर मुनाफा हुआ है. एसबीआई (SBI) ने चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में एकल आधार पर 13,265 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है. यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 74 फीसदी अधिक है.

महंगी होंगी अब एसबीआई के लोन की EMI

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के लोन की ईएमआई के लिए अब आपको ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा. दरअसल एमसीएलआर भारतीय रिजर्व बैंक की विकसित की गई एक पद्धति है जिसके बेस पर ज्यादातर बैंक लोन के लिए इंटरेस्ट रेट तय कर पाते हैं. ये सिस्टम कुछ समय पहले ही सभी बैंकों ने अपनाया है और इससे पूर्व सभी बैंक बेस रेट के बेस पर ही कस्टमर्स के लिए ब्याज दरों का निर्धारण करते थे.

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