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Budget 2022-23 : नौकरीपेशा को केंद्र सरकार दे सकती है बड़ा तोहफा, टैक्स छूट की लिमिट में इजाफा संभव

निवेश Published by: Paliwalwani Updated Tue, 11 Jan 2022 08:35 PM
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नई दिल्ली. आने वाले बजट में देश के करदाताओं को बजट घोषणाओं का बेसब्री से इंतजार है, खासकर आयकर से संबंधित घोषणा का। क्योंकि सरकार द्वारा पिछले बजट में आयकर से संबंधित किसी बड़े लाभ की घोषणा नहीं की गई थी। उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार इस बार टैक्स छूट की लिमिट को बढ़ाकर नौकरीपेशा को बड़ा तोहफा दे सकती है। 

35 फीसदी तक बढ़ सकती है लिमिट

केंद्रीय बजट 2022-23 की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को सुबह 11 बजे करेंगी। गौरतलब है कि आयकर में बदलाव की बढ़ती मांग को देखते हुए कई उद्योग निकाय पहले ही सरकार से करदाताओं को कुछ राहत देने की अपील कर चुके हैं। इस संबंध में जारी रिपोर्टों की मानें तो केंद्र सरकार नौकरीपेशा लोगों को राहत देने का मन बना रही है। रिपोर्ट में सरकार से जुड़े अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि केंद्र सरकार बजट 2022 में नौकरीपेशा और पेंशनर्स के लिए मौजूदा स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को 30 से 35 फीसदी तक बढ़ा सकती है। 

फिलहाल 50 हजार है स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट

बता दें कि अभी ऐसे करदाताओं के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50,000 रुपये निर्धारित है। इससे पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 40,000 रुपये थी, जिसे तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली वर्ष 2018 में लेकर आए थे। 2019 में पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश करते हुए इस लिमिट को बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया था। कोरोना महामारी के चलते कई तरह की मुसीबतों का सामना कर रहे नौकरीपेशा लोगों को इस बार के बजट में इस टैक्स लिमिट को बढ़ाए जाने की पूरी उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक, नौकरीपेशा और पेंशनर्स की मुश्किलों को देखते हुए सरकार बजट 2022 में टैक्स छूट की लिमिट बढ़ाने पर विचार कर सकती है।

करदाता इसलिए कर रहे लिमिट बढ़ाने की मांग

टैक्स छूट की लिमिट को बढ़ाने की मांग ऐसे समय में हो रही है जबकि मुद्रास्फीति के परिणामस्वरूप घरेलू खर्च बढ़ गया है। बिजली से लेकर चिकित्सा खर्च समेत करदाताओं के कई खर्चों में तेज उछाल आया है। यही कारण है कि करदाताओं ने मानक कटौती सीमा में वृद्धि की मांग की है। कई विशेषज्ञ भी इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि सरकार को बढ़ती महंगाई और कोविड -19 के कारण बढ़े हुए खर्च के कारण मानक कटौती की सीमा बढ़ाने पर विचार करना चाहिए। यह मांग करने वाले उद्योग निकायों में एसोचैम और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) भी शामिल हैं।

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