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मुफ्त शराब के साथ हर माह चाहिए मोटी रकम : आयुक्त तक पहुंची शिकायत

इंदौर Published by: paliwalwani Updated Mon, 29 Apr 2024 06:43 PM
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सहायक आबकारी अफसर की डिमांड से ठेकेदार हैरान

इंदौर. शराब कारोबारियों को तब तक आबकारी अफ़सर चैन नहीं लेने देते जब तक कि उनकी डिमांड पूरी नहीं हो जाती अनेक खर्चों के बाद ठेकेदार अफ़सर की नाजायज डिमांड पूरी नहीं कर पाते तो अफ़सर उन्हें परेशान करने का कोई अवसर हाथ से जाने नहीं देते। 

सहायक आबकारी अधिकारी की मनमानी की शिकायत हुई है। ये अफसर खरगोन में पदस्थ हैं उन्होंने विधानसभा चुनाव में पसन्दीदा उम्मीदवारों को मुफ्त शराब देने के लिए बोला था जिसे ठेकेदार चाह कर भी पूरा नहीं कर पाए अब इसका बदला लिया जा रहा है।  

सहायक आबकारी अधिकारी द्वारा पुलिस अफसरों व वीआईपी के वाहनों में प्रतिमाह पेट्रोल डीज़ल के नाम पर लाखों रुपये की डिमांड की जा रही है वह न देने पर समूह का संचालन करने नहीं दिया जा रहा है । सुबह से ही दुकान पर पहरा लगाया जा रहा है जबकि विधिवत लाईसेंस लेकर ठेकों का संचालन करने वाले ठेकेदार को सहयोग करना चाहिए ताकि वह लायसेंस फीस का समय पर भुगतान कर सके। आबकारी विभाग के सहायक आबकारी अधिकारी की बढ़ती डिमांड से त्रस्त 

सनावद में ठेका संचालित करने वालीं फर्म  नॉर्वेच ट्रेडर्स प्रा लि के डायरेक्टर चंटी सिंह राठौर ने आबकारी आयुक्त को की है। शिकायत में सहायक आबकारी अधिकारी के कहर से बचाने का अनुरोध किया है। 

गत वर्ष ठेकेदार ने वर्ष 2023 -2024 के लिए ठेका दिया था अब इस वर्ष 2024-2025 के लिए नवीनीकृत किया है। मगर जिस तरह से अफसर द्वारा मनमानी का आलम चलाया जा रहा हैं उससे ठेकेदार फर्म को आर्थिक नुकसान हो रहा है। आबकारी अफसर की डिमांड की जानकारी पहले तो ठेकेदार किसी को भी बताने को तैयार नहीं थे, मगर अब जाकर उन्होंने इस मामले में शिकायत दर्ज करायी है। सब देखना ये है कि आबकारी आयुक्त इस मामले में क्या कार्रवाई करेंगे।  

अफसर की मिलीभगत से क्षेत्र में माफ़िया सक्रिय

जानकारों का कहना है कि जो ठेकेदार अधिकारी की बात नहीं मानते हैं उनके क्षेत्र में अवैध शराब बेचने वाले माफियाओं पर कोई कार्रवाई नहीं होती जबकि लाईसेंसी ठेकेदार को नुकसान से बचाने के लिए माफियाओं पर अंकुश लगाना चाहिए ताकि विभाग की बदनामी न हो किंतु जब दीमक ही पेड़ खाने लगे तो फिर विभाग का पतन अवश्य होता है वर्तमान में खरगोन के अफ़सरान की मनमानी डिमांड शासन को आर्थिक हानि पहुचाने वाला कृत्य होकर अपराध की श्रेणी में है।

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