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सेवा की शुरुआत घर से होना चाहिए : लाभ मंडपम में राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर म.सा. के प्रवचनों की अमृत वर्षा : आज जन्मदिन एवं सत्संग

इंदौर Published by: sunil paliwal-Anil paliwal Updated Sun, 01 Jan 2023 02:14 AM
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जिस घर में प्रेम होता है, वहां लक्ष्मी का सदा बसेरा होता है

इंदौर :

राष्ट्रसंत ललितप्रभ म.सा. ने कहा कि वे लोग किस्मत वाले होते हैं, जिनके घर में बड़े-बुजुर्गों का साया होता है। परिवार की खुशहाली और पारिवारिक रिश्तों में प्रेम बनाए रखने के लिए बड़े-बुजुर्गों की सेवा करें और उनके लाड़-प्यार के निभाएं। एक दिन बुढ़ापा सबको आना है। आज आपने बड़ों की सेवा नहीं की तो कल आपके बच्चे भी वैसा ही करेंगे। यदि वास्तव में आप घरवालों से प्रेम करते हैं तो कभी भी बुजुर्गों का दिल न दुखाएं। घर के बड़े-बुजुर्ग भी अपना फर्ज निभाएं कि घर आई बहू को बेटी से ज्यादा प्रेम दें। पराए घर की बेटी को घर लाना बहुत सरल है पर उसके दिल को जीतना बहुत बड़ी साधना है।

सेवा की शुरुआत घर से होना चाहिए

संत प्रवर आज रेसकोर्स रोड स्थित खेल प्रशाल के लाभ मंडपम में आध्यात्मिक प्रवचन समिति द्वारा आयोजित तीन दिवसीय प्रवचनमाला के दूसरे दिन ‘घर को कैसे स्वर्ग बनाएं’ विषय पर श्रद्धालु भाई-बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सेवा की शुरुआत घर से होना चाहिए। घर का मेंबर बनकर घर को संभालना बहुत बड़ी साधना है। उन माता-पिता की रोज सुबह धोक लगाना चाहिए, जिन्होंने अपने खून से हमारा वपन किया है। घर में बंटवारे की बात आए तो कोई भले ही दुकान, मकान या आफिस मांगे, आप अपने हिस्से में मां-बांप को मांग लेना। आपका मालामाल होना तय है, क्योंकि इससे बड़ा माल दुनिया में और कोई होता ही नहीं। जिस मां ने आपको जन्म देने में प्रसव पीड़ा सही, उस मां के बुढ़ापे में यदि उसे दर्द में जीने की नौबत आ जाए तो इससे बड़ा महापाप और कुछ नहीं हो सकता।

पहले मकान कच्चे होते थे और रिश्ते सच्चे

संतश्री ने कहा कि पहले मकान कच्चे होते थे और रिश्ते सच्चे। पहले मकान छोटे होते थे पर उनमें रहने वालों के दिल बड़े होते थे। पहले नौ-दस भाइयों का परिवार साथ रहा करता था, लेकिन आज मकान बड़े हो गए पर दिल छोटे। जिंदगी में रिश्तों के प्रेम को निभाने का तरीका यही है कि अगर कोई कड़वी बात आ जाए तो उसे सूखी मिट्टी पर लिख देना ताकि हवा का झोंका आ जाए तो वह उड़ जाए और अगर कोई मीठी बात करे तो पत्थर पर लिख देना ताकि वह जिंदगीभर याद रहे। याद रखें कि अमीरों की जिंदगी में भी कभी-कभी झंझटें आती हैं और गरीबों की जिंदगी में भी कभी-कभी खुशहाली आती है।

घर को स्वर्ग बनाने के लिए बड़ा त्याग करना पड़ता

जरूरी नहीं कि कोठियों में स्वर्ग ही पलता है। कई बार कोठियों में नर्क को पलते देखा गया है और झोपड़ियों में स्वर्ग को पलते । खूबसूरत बाथरूम से आदमी का घर स्वर्ग नहीं बन जाता। घर को स्वर्ग बनाने के लिए बड़ा त्याग करना पड़ता है। आज नीम के पेड़ तो कम हो गए, पर आदमी की जुबान में कड़वाहट बढ़ गई। परिणाम यह कि परिवार का माधुर्य और प्रेम भी जाता रहा। घर को स्वर्ग बनाने के पांच टिप्स देते हुए संतश्री ने कहा कि अपने घर को घर नहीं। मंदिर मानिए, मंदिर में हम सब प्रेम और आनंदपूर्वक सदकर्म करते हैं वैसे ही घर में भी मिल-जुलकर रहें। शून्य की कीमत तभी बढ़ती है, जब उसके आगे इक्का जुड़ जाए और परिवार की कीमत तभी होती है, जब सब एक हो जाएं। जिंदगी में रिश्तों को कभी मत तोड़ा, क्योंकि  गंदा पानी भले ही पीने के काम नहीं आए, घर में आग लगने पर बुझाने के काम तो आ ही जाएगा।

घर में कभी तनाव और टूटन को मत रखो

घर को स्वर्ग बनाने का दूसरा टिप्स है – घर में कभी तनाव और टूटन को मत रखो। घर के मुखिया होने के नाते उसके कारण तक जाकर उसका निवारण करो। घर में बड़ा वो नहीं होता जो उम्र में बड़ा होता है। घर में बड़ा वो भी नहीं होता जो पैसों में बड़ा होता है, बल्कि घर में बड़ा वो होता है जो बड़प्पन दिखाने को तैयार होता है। तीसरा टिप्स है घर में शब्दों का इस्तेमाल सजगता और विवेक से करें। चौथा है – जब भी बोलें लाड़ की भाषा बोलें, राड़ की नहीं। घर और बाहर हमारी भाषा दूसरों के प्रति सम्मान और आदर देने वाली होना चाहिए। मीठी और मधु जुबान अगर पराए भी बोलने लग जाएं तो वे भी एक दिन अपने हो जाएंगे और टेढ़ी जुबान बोली तो अपने भी एक दिन पराए हो जाएंगे। पांचवा टिप्स है – हम संकल्प करें कि कभी स्वार्थी नहीं बल्कि सारथी बनेंगे।

चार चीजें अपने हाथ से जान-बुझकर कभी नहीं तोड़ने का नियम लेने का अनुरोध

संतश्री ने श्रद्धालुओं से चार चीजें अपने हाथ से जान-बुझकर कभी नहीं तोड़ने का नियम लेने का अनुरोध किया। ये हैं – जिंदगी में कभी भी रिश्ता मत तोड़िए। कभी भी किसी का विश्वास तोड़िए, किसी को दी हुई जुबान या वचन में तोड़िए और चौथा है – कभी किसी का  दिल मत तोड़िए।  उन्होंने श्रद्धालुओं से परिवार को खुश रखने के लिए ट्रस्ट, टाइम और टाकिंग देने का भी आग्रह किया।  संतश्री के प्रवचन के पूर्व डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागर महाराज ने भी संबोधित किया। धर्मसभा का शुभारंभ गौरव आनंद, सीए अनुपम सोजतिया, नवीन जैन, अशोक लोढा, दिनेश डोसी, देवास के सांसद महेन्द्रसिंह सौलंकी आदि ने किया।  इस अवसर पर समिति के सुजान चौपड़ा, दिलीप सावलानी, हुलास गांग सहित अनेक समाज बंधु एवं शहर के गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

आज राष्ट्रसंत का जन्मदिवस : समिति के सुजान चौपड़ा, दिलीप सावलानी एवं हुलास गांग ने बताया कि रविवार 1 जनवरी को सुबह 9 से 11 बजे तक राष्ट्रसंत का जन्मदिवस समारोह धूमधाम से मनाकर पूरे देश में वर्षभर सुख, शांति और समृद्धि में अभिवृद्धि के लिए विशेष मंत्रयुक्त महामांगलिक प्रदान की जाएगी। इस अवसर पर संत प्रवर ‘कैसे बनाए जीवन को मालामाल’ विषय़ पर लाभ मंडपम में विशेष प्रवचन और सत्संग करेंगे।

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