इंदौर। 30 वर्षों से भी ज्यादा समय से भूखंड धारक अपने भूखंडों पर भवन निर्माण का सपना संजोए सरकारी विभागों एवं न्यायालयों के चक्कर लगा रहे हैं किंतु किसी भी प्रशासनिक विभाग या न्यायालय द्वारा भूखंड धारकों के हित में समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया । हम दीपकुंज कालोनी पीड़ित रहवासी संघ के माध्यम से सभी पत्रकार बंधुओं से निवेदन करते हैं कि कृपया कर नीचे लिखे हमारे प्रयासों जैसे कि सैकड़ों शिकायतें अभी तक सभी प्रशासनिक विभागों में हमारे द्वारा की जा चुकी है किंतु कोई निराकरण है और आज दिनांक तक भी संस्था द्वारा की जा रही अनियमितताएं और भूखंड धारकों का आर्थिक शोषण की संपूर्ण जानकारी एवं विवरण अनुगामी पत्र में संलग्न है ।
जयलक्ष्मी को ऑ. हाउसिंग सोसाइटी नामक संस्था द्वारा दीपकुंज कालोनी, ग्राम पिपल्याहाना, इंदौर, वार्ड क्रमांक - 76, झोन क्रमांक - 19 , जिला इंदौर के संदर्भ में । 30 वर्षों से संस्था द्वारा भूखंड धारकों को भूखंड पर कब्जा नहीं दिया जा रहा है विकास के नाम पर मनमाना शुल्क वसूला जा रहा है विगत 30 वर्षों में दो बार विकास शुल्क एवं अन्य शुल्को के नाम पर लाखों रुपए संस्था पदाधिकारियों द्वारा भूखंड धारकों से लिए जा चुके हैं जिनका कोई हिसाब किसी भी सरकारी विभाग में संस्था द्वारा नहीं दिया गया है और आज दिनांक तक भी विकास कार्य पूर्ण नहीं किया गया है । झूठे वादों / प्रकरणों में सदस्यों को न्यायपालिकाओं में उलझा कर एवं सहकारिता न्यायालय में सांठगांठ कर भूखंडों की कुर्की कर उन पर कब्जा कर उन्हें पुनः बाजार मूल्य से बेचकर रजिस्ट्रीया 20 साल पुराने मूल्य के आधार पर करा कर पूरा पैसा पदाधिकारियों द्वारा अपनी जेब में रखा जा रहा है । विगत 30 वर्षों में भूखंड धारको द्वारा विभिन्न सरकारी विभागों में पुलिस प्रशासन, कलेक्ट्रेट, नगर निगम, सी.एम. हेल्पलाइन, पी.एम. हेल्पलाइन, पार्षद, मंत्री महोदय सभी जगहों पर शिकायत एवं आवेदन दिए गए किंतु आज दिनांक तक संस्था पदाधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई । पदाधिकारियों द्वारा संस्था को एक लाभ का व्यवसाय बना दिया गया है जबकि संस्था का गठन भूखंड धारकों की आवासीय समस्याओं को सुलझाने के लिए किया गया था ।संस्था अध्यक्ष बालकृष्ण कुलवाल एवं उपाध्यक्ष अजय दुबे द्वारा कई गृह निर्माण संस्थाओ का पंजीयन करा जैसे परशुराम गृह निर्माण सहकारी संस्था, जय लक्ष्मी गृह निर्माण सहकारी संस्था इत्यादि का गठन कर गरीब वर्ग के लोगो को भवन निर्माण के लिया भूखंड देने हेतु दीपकुन्ज, साई विहार, पुष्टवाटिका, सिद्धार्थ नगर इत्यादि कॉलोनियां पंजीकृत कराये गए परन्तु सदस्यों को भूखंड न आबंटित कर परिवार के लोगो को ही सदस्य बना कर भूखंड आबंटित कर दिया । संस्था में की जा रही अनियमितताओं के विरुद्ध कई प्रकरण सालों से सहकारिता एवं अन्य न्यायालयों में लंबित हैं किंतु संस्था के पदाधिकारी अपने रसूख का फायदा उठाकर एवं नियमों की आड़ में भूखंड धारकों के अधिकारों का आर्थिक एवं मानसिक हनन करते आए हैं विगत 30 वर्षों से ब्रोकरों के माध्यम से यह कालाबाजारी का खेल संस्था के पदाधिकारियों द्वारा खेला जा रहा है जिसमें डरा- धमका के या न्यायालयों में फर्जी / झूठे, वाद / प्रकरण दर्ज कराकर ओने-पोने दामों में भूखंडों को दबाव बनवा कर बिकवा दिया जाता है या फिर सहकारिता में सांठगांठ कर कुर्की का आदेश पारित करवाकर रजिस्टर्ड भूखंड पर कब्जा कर लिया जाता है । हम भूखंड धारकों का प्रशासनिक अधिकारियों से निवेदन है कि कृपया कर त्वरित वैधानिक कार्यवाही की जाए और भूखंड धारकों को उनका अधिकार दिलाया जाए ।
● संस्था एवं पदाधिकारियों की जानकारी:-
अध्यक्ष : सिद्धार्थ कूलवाल
पूर्व अध्यक्ष : बालकृष्ण कूलवाल
प्रबंधक : महोदय उदय विवरेकर
संस्था का नाम : जयलक्ष्मी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी लि.
रजिस्ट्रेशन नंबर : 283
रजिस्ट्रेशन दिनांक : 08/01/1981
कंपनी का नाम : कूलवाल कंस्ट्रक्शनस प्राइवेट लिमिटेड.
रजिस्ट्रेशन क्रमांक : 004890
सी.आई.न. क्रमांक : U45210MP1988PTC004890
रजिस्ट्रेशन : RoC ग्वालियर
संस्था कार्यालय पता : 49, साउथ हाथीपाला इंदौर, (म.प्र.)
कॉलोनी पता : दीपकुंज कालोनी, ग्राम पिपल्याहाना, इंदौर, वार्ड क्रमांक - 76, झोन क्रमांक - 19 रजिस्टर्ड पता : 60, गोपाल बाग, मानिक बाग, रोड इंदौर.
● संस्था सहकारिता के अंतर्गत आती है : भूखंड स्वामी अपनी समस्याओं के निराकरण हेतु निम्नलिखित तथ्य प्रस्तुत करते हैं :-
1. यह की संस्था द्वारा दीपकुंज कॉलोनी मे आवासीय भूखंडो हेतु वर्ष 1990 में सदस्यों को संस्था जय लक्ष्मी को ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी लिमिटेड का सदस्य बना कर । व्यवस्थित भूखंड दिए जाने का प्रस्ताव दिया ।
2. यह कि, सदस्यों से प्रथमतः किस्तों में धनराशि भूखंड पेठे प्राप्त की और तत्पश्चात् विकास कार्यों हेतु भी किश्तों के आधार पर राशि ली गई एवं सभी भूखंडों के पंजीयन करा दिए गए ।
3. यह की भूखंडों के पंजीयन के पश्चात संस्था के पदाधिकारियों से भूखंड का स्वामित्व चाहा गया । ताकि नगर पालिका निगम इंदौर से भवन अनुज्ञा प्राप्त कर सदस्य गृह निर्माण की कार्यवाही कर सकें, परंतु संस्था द्वारा इस प्रक्रिया में असहयोग एवं उपेक्षा स्वरूप कई वर्ष बीता दिए गए । कॉलोनी में संस्था द्वारा किए गए सभी विकास कार्य निम्न गुणवत्ता के साथ-साथ अपूर्ण थे । सभी आधारभूत सुविधाओं के अभाव में भूखंड स्वामियों के द्वारा आवासीय निर्माण करना संभव नहीं था । वहीं संस्था ने झूठे दस्तावेजों के आधार पर संस्था पदाधिकारी व नगर पालिका निगम इंदौर के अधिकारियों ने सांठगांठ कर धरोहर स्वरूप रखें भूखंड विमुक्त कर दिए । इस परिस्थिति में कॉलोनी अविकसित रह गई । जबकि संस्था ने भूखंड धारकों से विकास कार्यों की राशि के साथ-साथ अन्य शुल्क राशि जमा करवाकर आर्थिक लाभ भी ले लिया और आज तक कॉलोनी में एक भी मकान नहीं बन सका है । जबकि नगर पालिका निगम द्वारा मूल अनुमति पत्र क्रमांक 304, कॉलोनी सेल, नगर पालिका निगम, इंदौर दिनांक 28-01-1999 में निम्न में वर्णित था (उक्त धरोहर रखे गए भूखंड नगर निगम विकास कार्यों के गुणवत्ता पूर्ण पाए जाने पर ही विमुख करता है) ।
4. यह कि, पीड़ित भूखंड धारक द्वारा नगर निगम इंदौर में आयुक्त महोदय श्री योगेंद्र शर्मा से चर्चा कर, उन्हें फोटो के साथ कॉलोनी का स्वरूप बताया गया । इस पर आयुक्त महोदय ने वस्तुस्थिति जानने हेतु कॉलोनी सेल से जवाब तलब किया । फिर भी दोषियों पर नगर पालिका निगम ने कार्यवाही नहीं की ।
5. यह कि प्रथम बार नगर पालिका निगम द्वारा भवन निर्माण की दी गई अनुज्ञा पर संस्था के गुणवत्ताहीन विकास कार्य एवं भौतिक सुविधाओं के अभाव में तथा भूखंड का पजेशन नहीं देने से एक भी आवास नहीं बन पाया परिणाम स्वरूप नगर निगम इंदौर ने विकास कार्यों के मापदंडों के गुणवत्ताहीन होने पर पत्र क्रमांक : 1667 / कॉलोनी सेल /07, इंदौर के द्वारा भवन निर्माण अनुज्ञा निरस्त कर दी गई । ऐसी विषमता और न्याय प्राप्ति हेतु सदस्य नगर पालिका निगम के आयुक्त महोदय श्री सीबी सिंह एवं उपायुक्त श्रीमती लता अग्रवाल व श्री केदार सिंह से कई बार संपर्क करते रहें तथा इस तरह से कई वर्ष व्यतीत हो गए ।
6. यह कि संस्था द्वारा कॉलोनी में किए गए अपर्याप्त विकास कार्यों की सर्वप्रथम सामूहिक शिकायत दिनांक 19-04-2008 को थाना प्रभारी सेंट्रल कोतवाली, इंदौर में की गई ।
7. यह कि, पूरे प्रदेश में व्याप्त कालोनाइजरों की मनमानी एवं छल-कपट, भूमाफिया के संदिग्ध कार्यकलापों एवम् आतंक पर माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान ने प्रदेश में भूखंड धारकों के हित और सुशासन के तहत् लोक कल्याण शिविर आयोजित कर भूखंड एवं भू स्वामियों की शिकायतें सुनने हेतु इंदौर शहर के गांधी हॉल में दिनांक 17-02-2009 को भव्य आयोजन मे सहकारिता के अंतर्गत बनाई गई कॉलोनी एवं उनके पीड़ित सदस्यों से एकल अथवा सामूहिक रुप से आवेदन लिए गए । इस प्रकार प्रथमतः शासकीय पटल पर संस्था से संबंधित किए जा रहे व्यवहार एवं एक-पक्षीय कार्य जिसमें अपर्याप्त, अपूर्ण विकास कार्य एवं की जा रही उपेक्षा को बताया गया ।
8. यह कि, मध्यप्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2008 से प्रदेश मे आवासीय कॉलोनियों की समस्याओं पर गठित शिकायत निराकरण शिविर में सामूहिक रुप से प्लॉट धारको ने आवेदन प्रेषित किया जिनमें शासन द्वारा आयोजित लोक कल्याण शिविर में भूखंडों व कॉलोनियों से संबंधित शिकायतों का शिविर पुलिस आई.जी. को भूखंड संबंधी शिकायतें सुनने के अधिकार के तहत संबंधित क्षेत्रों के थाना प्रभारियों के प्रदत्त शिकायतों का निराकरण हेतु दिए गए अधिकार तथा जिलाधीश महोदय को साप्ताहिक शिकायत निराकरण जनसुनवाई प्रकोष्ठ में सामूहिक रुप से लिखित में शिकायत की गई । जिस पर आज तक भूखंड धारकों को न्याय प्राप्त नहीं हो सका । विपरीत कुछ भूखंड धारकों पर द्वेषपूर्ण तरीके से विभिन्न न्यायालयों में भूखंड निरस्तीकरण के वाद चलाए गए संस्था द्वारा । जिस से कई भूखंड धारक क्षुब्ध है । ऐसी कार्यवाही कर भूखंड धारकों में आतंक फैला कर अवांछित दबाव बनाया जा रहा है अलग से अस्पष्ट मदों मे रुपयों की मांग भूखंड धारकों से की जा रही है और धमकाया जा रहा है ।
9. यह कि, नगर पालिका निगम की अपेक्षा के अनुरुप पुनः विकास कार्य करने के उद्देश्य से नगर पालिका निगम द्वारा पूर्व निर्धारित 80 रूपय वर्ग फीट के स्थान पर 150 रूपय वर्ग फीट पुनर्विकास के पेठे संस्था द्वारा तीन किश्तों में चाहे गए, जो कि वर्तमान में फिर से बढ़ाकर 170 वर्ग फुट मांगा जा रहा है । इस राशि का व्यय संस्था द्वारा किन-किन विकास कार्यों मे लिए जाएगा, इसका स्पष्ट रुप से, पारदर्शिता के साथ यह किसी भी सदस्य को नहीं बताया गया । ऐसी परिस्थिति में भूखंड धारकों द्वारा किस्त स्वरूप राशि के भुगतान में असमंजस बना हुआ है । अस्पष्टतः स्वरूप कहीं भूखंड धारकों ने पुनः विकास की राशि नहीं दी है और कुछ भूखंड धारकों ने पूरी किस्तों का भुगतान भी नहीं किया है । जिलाधीश एवं उपायुक्त सहकारिता के द्वारा पारित आदेशों के तहत कई भूखंड धारकों से राशि नहीं ली जा रही है । और द्वेष स्वरूप उनके ऊपर प्रकरण विभिन्न न्यायालयों में चलाए जा रहे हैं । जबकि समानांतर कहीं भूखंड धारको से राशि ली जा रही है जिस पर न्याय मिलने की आशा अपेक्षित है ।
● अन्य समस्याएं जिन कारणों से विकास एवं भवन निर्माण अनुमति नहीं मिल पा रही है जो कि निम्नलिखित :
1. संस्था के ना तो चुनाव हो रहे हैं और ना ही ऑडिट का कुछ अता-पता है । चुकि सरकारी विभागों का कोई नियंत्रण नहीं है । इस वजह से कई अनियमितताएं संस्था में हो रही है और कोई जवाबदेही नहीं है ।
2. सदस्यों एवं प्लॉट धारकों द्वारा C.M. हेल्पलाइन, P.M. हेल्पलाइन, सहकारीता पोर्टल, पुलिस कमिश्नर ऑफिस, संयोगितागंज थाना, कलेक्ट्रेट पोर्टल, जनसुनवाई, समाधान पोर्टल, नगर निगम पोर्टल, न्यूज़ पेपर व अन्य कई माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज कराई है । परंतु सहकारिता विभाग की कार्य प्रणाली एवं संस्था के हितकारी नियमों के कारण सारी शिकायत एवं सदस्य, फुटबॉल बनकर रहे गए हैं ।
3. संस्था के पदाधिकारियों ने अलग-अलग धाराओं में सदस्यों के खिलाफ कई प्रकरण दर्ज करा कर उन्हें भयभीत कर रखा है ताकि उनके विरुद्ध कोई बोल ना सके । कुछ सदस्यों के विरुद्ध तो उच्च न्यायालयों मैं भी प्रकरण दर्ज करा रखे हैं । कई प्रकरणो का परिणाम तो सदस्यों के पक्ष में आ भी गया बावजूद इसके भी आज तक सदस्यों / प्लॉट धारकों को भवन निर्माण की अनुमति नहीं मिल पाई है ।
4. प्रॉपर्टी टैक्स, डायवर्सन टैक्स व अन्य प्रकार के समय-समय पर टैक्स जमा कराने के बावजूद भी अभी तक 25 वर्षों से इंतजार कर रहे 180 से ज्यादा प्लॉट धारकों को अपने मकान बनाने का सपना अधूरा रहा ।
5. कई लोग जिन्हें भूखंड नहीं मिल पाया किराए के मकान में रह रहे है और कुछ लोगो को अपने शहर से दूर रहना पड़ रहा है । पीड़ित सदस्य सालों तक सहकारिता के चक्कर लगा ते हुए थक चुके हैं कईयों की तो दूसरी तीसरी पीढ़ी केस लड़ रही है
6. 30 वर्षो में 2 बार विकास शुल्क के नाम पर भूखंड धारको से अनुचित राशि (तय राशि से कई बार बढ़ा कर )एवं अन्य शुल्कों के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है ।
7. आज दिनांक तक संस्था ने सदस्यों से कितना पैसे लिया और कितना कहा कहा खर्च करा इसका बियोरा ना तो सहकारिता ना ही नगर निगम के किसी भी विभाग में जमा कराया और नहीं किसी सदस्य को दिया गया ।
8. संस्था की कोइ भी जानकारी किसी भी सरकारी पोर्टल पर भी उपलब्ध नहीं है जो की सभी विभागों के पारदर्शी कार्य प्रणाली पर बहुत बढ़ा प्रश्न चिन्ह है ।
9. जब वर्षो पूर्व संस्था द्वारा सभी भूखंड सदस्य बनाकर आंबटित कर दिए गए तो आज दिनांक तक भी संस्था भूखंड का क्रय विक्रय कैसे कर रही है ।
10. चुकी जयलक्ष्मी को ऑ. हाउसिंग सोसाइटी एक नो प्रॉफिट - नो लॉस के नियम से बाध्य संस्थान है तो फिर विगत वर्षो में संस्था द्वारा जो भूखंड क्रय - विक्रय किये जा रहे है उसकी सिद्धता और पारदर्शिता के प्रमाणित दस्तावेज किसी विभाग के पास क्यों नहीं है ।
11. संस्था में अध्यक्ष व अन्य पदों के लिए चुनाव कब कब हुए और कौन कितने वोटो से निर्वाचित हुआ उसकी प्रमाणित जानकारी उपलब्ध नहीं है ।
12. जब अधिकतर भूखंडो का विक्रय मूल सदस्यों द्वारा कर दिया गया और संस्था द्वारा 1 भी नए भूखंड धारक का नामांतरण नहीं किया गया तो संस्था में हो रहे निर्वाचन प्रक्रिया के क्या मायने है ।
13. विगत 30 वर्षो में एक भी भूखंड धारक का नामांतरण संस्था द्वारा नहीं किया गया इस सन्दर्भ में शासकीय कार्यालयों द्वारा आज दिनांक तक कोइ कार्यवाही क्यों नहीं करी गए ।
14. चुकी जयलक्ष्मी को ऑ. हाउसिंग सोसाइटी का गठन सदस्यों की आवासीय एवं अन्य समस्याओ के समाधान के लिये किया गया था किन्तु यदि 30 वर्षो में भी ये समस्या संस्था द्वारा नहीं सुलझाई गए तो किसी भी शासकीय और अर्धशासकीय कार्यालयों द्वारा आज दिनांक तक कोइ कार्यवाही क्यों नहीं की गई ।
15. सहकारिता के नियमो अनुसार संस्था को समय - समय पर आम सभा का आयोजन कर सदस्यों की समस्याओ का समाधान करना था जिस के कोइ भी प्रमाणित तथ्य (सभा पंजिका / मीटिंग रजिस्टर की प्रति) किसी भी शासकीय कार्यालयों या पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है ।
16. विगत 30 वर्षो से एक ही परिवार के सदस्य या कुछ चुनिंदा लोग ही संस्था के पधादिकारियो के रूप में चुने जा रही है ऐसे कैसे संभव है बिना निर्वाचन प्रक्रिया में धांधली के ।
17. पूर्व में पिता श्रीमान बालकृष्ण कूलवाल अध्यक्ष थे और आज दिनांक को पुत्र श्रीमान सिद्धार्थ कूलवाल अध्यक्ष हैं ऐसा प्रतीत होता है की संस्था को पुश्तैनी व्यवसाय की रूप में चलाया जा रहा है
● पालीवाल वाणी ब्यूरो- Sunil Paliwal-Anil Bagora... ✍
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