श्रीलंका में फैले गंभीर आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) के बीच वहां के शक्तिशाली राजपक्षे परिवार (Rajapakse Family) के भारत भाग जाने की खबरों को श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने गलत और निराधार बताया है. उच्चायोग ने बयान जारी करके कहा कि राजपक्षे परिवार के भारत भाग जाने की खबरें पूरी तरह फर्जी हैं. इन खबरो में कोई सच्चाई नहीं है और उच्चायोग इस तरह की भ्रामक खबरों का खंडन करता है.
भारतीय उच्चायोग (High Commission of India) ने अपने ट्वीट में कहा, 'उच्चायोग ने हाल में सोशल मीडिया और मीडिया के कुछ हिस्सों में फैलाई जा जारी अफवाह का संज्ञान लिया है कि कुछ राजनीतिक व्यक्ति और उनके परिवार भारत भाग गए हैं. ये फर्जी और बिल्कुल झूठी रिपोर्ट हैं, जिनमें कोई सच्चाई नहीं है. उच्चायोग इनका पुरजोर खंडन करता है.'
बता दें कि श्रीलंका (Sri Lanka) में तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapakse) ने सोमवार को देश के राष्ट्रपति और अपने छोटे भाई गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) को इस्तीफा सौंप दिया था. उनके इस्तीफे के बाद राजपक्षे के समर्थकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला बोल दिया था, जिसके चलते देश में हिंसा भड़क गई और 8 लोगों की जान गई. इस देशव्यापी हिंसा में राजधानी कोलंबो समेत अन्य शहरों में 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने देशभर में राजपक्षे परिवार (Rajapakse Family) और दूसरे नेताओं की संपत्तियों को आग के हवाले करना शुरू कर दिया है. देश में हिंसा बढ़ती देख राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी कर दिया है. साथ ही सेना को राजधानी कोलंबो समेत सभी बड़े शहरों में तैनात करके राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लागू कर दिया है. इतने कड़े आदेश जारी होने के बावजूद श्रीलंका में प्रदर्शन और हिंसा अभी रुकी नहीं है, जिससे वहां के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं.
देश में बिगड़ते हालात के बीच शरारती तत्वों ने राजपक्षे परिवार (Rajapakse Family) के भारत भाग जाने की खबरें फैलानी शुरू कर दीं, जिसका उच्चायोग ने संज्ञान लेकर स्पष्ट रूप से खंडन कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक इस फर्जी खबर के पीछे का मकसद श्रीलंकाई जनता के आक्रोश को भारत के खिलाफ मोड़ना था, जिसे भारतीय उच्चायोग ने सतर्कता के साथ विफल कर दिया है.