जिनेवा (geneva)। भारत (India) के बजट-2023 (Budget-2023) को आने में अब कुछ दिन ही बाकी हैं, लेकिन इससे पहले बुधवार को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने अनुमान जताया कि भारत की जीडीपी (India’s GDP) वित्त वर्ष 2023 में 5.8 प्रतिशत (5.8 percent) रह सकती है क्योंकि ऊंची ब्याज दरों (High interest rates) और वैश्विक आर्थिक मंदी (global economic downturn) से निवेश और निर्यात पर दबाव पड़ रहा है।
साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने देश की आर्थिक वृद्धि मजबूत रहने की उम्मीद जताई है जबकि अन्य दक्षिण एशियाई देशों के लिए संभावनाएं अधिक चुनौतीपूर्ण हैं। वैश्विक आर्थिक स्थिति और संभावनाएं-2023 रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक उत्पादन वृद्धि 2022 में अनुमानित तीन प्रतिशत से घटकर 2023 में 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो हाल के दशकों में सबसे कम विकास दर में से एक है।
रिपोर्ट में जीडीपी की इस स्थिति के लिए कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे हालात को जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसके चलते खाद्य और ऊर्जा संकट खड़ा हुआ और महंगाई बढ़ी। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में विकास दर 5.8 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है, हालांकि यह 2022 में अनुमानित 6.4 प्रतिशत से थोड़ा कम है, क्योंकि उच्च ब्याज दरों और वैश्विक मंदी से निवेश और निर्यात पर दबाव पड़ा है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया क्षेत्र की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के लिए संभावनाएं अधिक चुनौतीपूर्ण हैं। बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका ने 2022 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से वित्तीय सहायता मांगी। जबकि भारत में आर्थिक विकास कैलेंडर वर्ष 2023 में 5.8 प्रतिशत तक मध्यम होने का अनुमान है, निवेश पर उच्च ब्याज दरों और धीमी वैश्विक वृद्धि के कारण निर्यात कमजोर हो रहा है, रिपोर्ट का अनुमान है कि देश 2024 में 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। 2023 में भारत की मुद्रास्फीति के घटकर 5.5 प्रतिशत होने की उम्मीद है।