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कोरोना ने सबसे अधिक नुकसान फेफड़ों और श्वसन तंत्र को पहुंचाया

दिल्ली Published by: Paliwalwani Updated Fri, 29 Apr 2022 10:57 PM
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नई दिल्ली : कोरोना ने शरीर को किस हद तक नुकसान पहुंचाया है, अब इससे जुड़े शोध अध्ययन भी सामने आने लगे हैं. इसी तरह का एक अध्ययन राजकोट के सरकारी मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने किया है. इसके नतीजे में उन्होंने पाया है कि कोरोना ने लोगों की किडनियां खराब कीं. श्वसन तंत्र में गंभीर संक्रमण पैदा किया. फेफड़ों तक खून पहुंचाने वाली धमनी में खून का थक्का जमा दिया. और ऐसा उन लोगों के साथ अधिक हुआ, जिन्हें संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. जिनके संक्रमण की अवधि एक हफ्ते या उससे ज्यादा रही.

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के लिए 33 शवों का पोस्टमॉर्टम किया. ये वे लोग थे, जिन्हें कोरोना संक्रमण के बाद बचाया नहीं जा सका. इन लोगों के अंदरूनी अंगों का अध्ययन कर के यह देखा गया कि किस अंग को कोरोना ने किस-किस तरह से नुकसान पहुंचाया है. यह अध्ययन डॉक्टर हेतल क्यादा के नेतृत्व में हुआ है. वे राजकोट के मेडिकल कॉलेज में कार्यरत हैं. शोध के निष्कर्ष ‘इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ में प्रकाशित हुए हैं. इसके मुताबिक कोरोना ने सबसे अधिक नुकसान फेफड़ों और श्वसन तंत्र को पहुंचाया है. ये नुकसान अस्पतालों में ज्यादा हुआ.

फेफड़ों में पाए गए फोड़े, ब्रोंकोनिमोनिया के शिकार हुए

अध्ययन के निष्कर्षों के मुताबिक, ‘कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती कई मरीजों की स्थिति अधिक बिगड़ी. उनको ब्रोंकोनिमोनिया के रूप में श्वसनतंत्र के गंभीर संक्रमण ने जकड़ लिया. उनके फेफड़ों में फोड़े पड़ गए. यही नहीं, फेफड़ों तक खून पहुंचाने वाली नली में थक्का जम गया. ये सब इसलिए हुआ क्योंकि लंबे समय उन्हें मशीनों से ऑक्सीजन दी जाती रही. सेंट्रल वेनस कैथेटर जैसे यंत्र का इस्तेमाल करना पड़ा, जो धमनियों में बाहर से खून आदि पहुंचाने के लिए लगाया जाता है. टोसिलिजुमैब और स्टेरॉयड जैसी दवाओं के इस्तेमाल ने मरीजों की किडनियों और अन्य अंगों को गंभीर नुकसान पहुंचाया. यही नहीं, अस्पताल मरीजों की बढ़ती संख्या के दबाव के कारण संक्रमण-रोधी नियमित बंदोबस्त भी नहीं कर पाए. इससे भी कई मरीजों को बचाया नहीं जा सका.’

 सबको ऑक्सीजन लगी थी, उम्र 60 से ऊपर

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक जिन शवों का अध्ययन किया गया, उनमें 28 पुरुष, 5 महिलाएं थीं. इनका निधन 7 सितंबर से 23 दिसंबर 2020 के बीच हुआ. इनके निधन के 3 घंटे के भीतर इनका पोस्टमॉर्टम किया गया. सभी की उम्र 60 साल से ज्यादा थी. इनमें से 30 लोगों को ऑक्सीजन-सपोर्ट की जरूरत पड़ी थी. सभी लोग 7 या उससे अधिक दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे थे.

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