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राष्ट्रीय संकट के समय मूकदर्शक बन नहीं रह सकते : सुप्रीम कोर्ट, माँगे केंद्र से जवाब

दिल्ली Published by: Paliwalwani Updated Tue, 27 Apr 2021 09:32 PM
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नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने आज फिर कोरोना संकट को लेकर सरकार को फटकार लगाई। कोरोना के बढ़ते मामलों और मरीजों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया था और केंद्र को नोटिस जारी कर कोरोना से निपटने के लिए नेशनल प्लान मांगा था। इस मसले पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट की बेंच में सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि राष्ट्रीय संकट के समय यह अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती। अदालत सहयोग के दृष्टिकोण से सुनवाई कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संकट से निबटने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में कई तरह के सवाल किये और जवाब मांगा -

ऑक्सीजन को लेकर पूरा प्लान क्या है, फिलहाल कितना ऑक्सीजन है, इसका बंटवारा कैसे-कैसे होता है, राज्यों में फिलहाल स्थिति क्या है?

एक मई से सबको वैक्सीन कैसे मिलेगी, देश के पास फिलहाल कितनी वैक्सीन हैं, सबको टीका कैसे लगेगा, इसके लिए सरकार की प्लानिंग क्या है?

कोरोना वैक्सीन की अलग-अलग कीमत क्यों हैं? वैक्सीन के कीमत निर्धारण का आधार क्या है?

रेमडेसिविर जैसी जरूरी दवाओं की आपूर्ति के लिए क्या तैयारी है?

राज्य सरकारों से पूछा गया कि कोरोना संकट में उनके पास क्या-क्या इंतजाम हैं?

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग हाईकोर्ट की सुनवाई जारी रहेगी, क्योंकि हाईकोर्ट को अपने अपने राज्यों में जमीनी हकीकत का ज्यादा पता रहता है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है। इसके अलावा राष्ट्रीय संकट के समय सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक नहीं हो सकता. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर क्षेत्रीय सीमाओं के कारण किसी मुद्दे से निपटने में हाईकोर्ट को कोई कठिनाई होती है, तो हम मदद करेंगे।

कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को डॉक्टर्स के बड़े-बड़े पैनल बनाने को कहा है, जिससे मरीजों को डॉक्टर की सलाह मिल सके। अब मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी। सुनवाई से पहले केंद्र सरकार नया हलफनामा दायर करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते कोविड के बढ़ते मामलों के बीच देश भर में ऑक्सीजन, टीके और दवाओं के बांटने से जुड़ी समस्याओं को उठाने का फैसला किया और केंद्र को नोटिस जारी कर नेशनल प्लान मांगा था।

 

 

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