नई दिल्ली.
शिक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक स्कूलों में फीस के निर्धारण और इसमें वृद्धि के एक स्टैंडर्ड मानक को तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है। केंद्र सरकार अब एक पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था खड़ी करना चाहती है।
नए शैक्षणिक सत्र के शुरू होने के साथ दिल्ली सहित देश के अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि को लेकर जिस तरह से हर साल निजी स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच टकराव की स्थिति निर्मित हो रही है, उस पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार अब एक पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था खड़ी करना चाहती है।
इसे लेकर वह एक मॉडल ड्राफ्ट तैयार करने की कोशिश में जुटी है, जिसे सभी राज्य अपने यहां स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर रोकथाम के लिए अमल में ला सकेंगे।
इस बीच मनमानी फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए जो ड्राफ्ट का स्वरूप सामने आया है, उसमें सभी स्कूल अब एक ही मानक के आधार पर न फीस वसूल सकेंगे न ही फीस में वृद्धि कर सकेंगे।
बल्कि स्कूलों को स्टैंडर्ड के हिसाब से इस निर्धारित करने का अधिकार मिलेगा। इसके लिए सबसे पहले सभी राज्यों को अपने स्कूलों की एक रैंकिंग तैयार करने होगी। यह रैंकिंग उनके इंफ्रास्ट्राक्चर, शिक्षकों स्तर व स्कूल के शैक्षणिक प्रदर्शन से तय की जाएगी। इसके लिए प्रत्येक राज्य व केंद्र शासित प्रदेश में एक राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण ( ट्रिपलएसए) नामक एक स्वतंत्र निकाय स्थापित करना होगा।
साथ ही फीस का निर्धारण और वृद्धि को जिला शुल्क नियामक समिति की मंजूरी के बगैर लागू नहीं किया जा सकेगा। इस समिति में जिला अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी के साथ अभिभावक संघ व स्कूल संघ के भी प्रतिनिधि शामिल होंगे।
इन नियमों के तहत फैसले को न मानने पर स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है। इनमें जुर्माना और सजा दोनों है। जुर्माना भी पहली बार एक लाख होगा। यदि दूसरी बार भी गलती की तो पांच लाख होगा।