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अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर अचानक ब्रेक-RBI गवर्नर से मिले कई इकोनॉमिस्ट

दिल्ली Published by: Sangeeta Paliwal-Sangeeta Joshi...✍️ Updated Wed, 20 Mar 2019 07:04 PM
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नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त पड़ रही है ! तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर अचानक ब्रेक लग जाने पर कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने रिजर्व बैंक के प्रमुख से मिलकर चिंता जताई है। इकोनॉमिस्ट ने रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास से मुलाकात कर कहा है कि ऐसी मौद्रिक नीति लानी होगी जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार में फिर से तेजी आए।

4 अप्रैल को रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक होगी

गौरतलब है कि 4 अप्रैल को रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक होगी। जिसमें नए वित्त वर्ष के लिए मौद्रिक नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। समाचार एजेंसी रायटर्स ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसके पहले करीब एक दर्जन अर्थशास्त्र‍ियों से मुलाकात की है और उनकी राय को सुना है। ज्यादार इकोनॉमिस्ट की राय यही है कि रिजर्व बैंक फिर से रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट यानी चैथाई फीसदी की कटौती करे और उसे 6 फीसदी तक ले आए। इसके पहले रेपो रेट का यह स्तर अगस्त 2017 में था। रिजर्व बैंक अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में चैथाई फीसदी की कटौती कर चुका है।

पिछली पांच तिमाहियों में सबसे कम वृद्धि दर

गौरतलब है कि अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था सिर्फ 6.6 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो पिछली पांच तिमाहियों में सबसे कम वृद्धि दर है। कमजोर उपभोक्ता मांग और कम निवेश को इसकी वजह माना जा रहा है। पीएम श्री नरेंद्र मोदी चुनाव अभियान में जोरशोर से लगे हैं और एक बार फिर से सत्ता में लौटने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। ऐसे में अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटने को चिंता का बिंदु माना जा रहा है। अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटने से टैक्स कलेक्शन लक्ष्य से कम हो सकता है और सरकारी खर्च में कटौती आ सकती है।इस बैठक में शामिल एक इकोनॉमिस्ट ने रायटर्स से कहा बैठक में शामिल ज्यादातर इकोनॉमिस्ट की राय यही थी कि ग्रोथ में तेजी लाने के लिए मौद्रिक नीति में ही कुछ बड़ा कदम उठाना पड़ेगा, क्योंकि वित्तीय विस्तार की बहुत ज्यादा गुंजाइश नहीं है. इकोनॉमिस्ट ने कहा कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त पड़ने से भारत के निर्यात पर चोट पड़ सकती है, जिसकी रफ्तार पहले से सुस्त है. फरवरी में भारत का निर्यात महज 2.4 फीसदी और जनवरी में 3.7 फीसदी बढ़ा है।

सूख, नकदी प्रबंधन, विनिमय दर, महंगाई, बैंक कर्ज बढ़त, ब्याज दरों पर चर्चा

सूत्रों ने कहा कि यह बैठक दिसंबर में तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के साथ हुई बैठक से अलग स्वभाव की थी। उर्जित पटेल थोड़े एकांतप्रिय थे और सिर्फ 5-6 इकोनॉमिस्ट से ही मिलना पसंद करते थे, जबकि दास ज्यादा खुले और संवाद वाला रवैया अपनाते हैं। हालांकि, इस बैठक के बारे में शक्तिकांत दास या रिजर्व बैंक के किसी अधिकारी ने आधिकारिक रूप से कुछ नहीं बोला है. बैठक के दौरान इकोनॉमिस्ट और रिजर्व बैंक के अधिकारियों के बीच सूख, नकदी प्रबंधन, विनिमय दर, महंगाई, बैंक कर्ज बढ़त, ब्याज दरों जैसे कई मसलों पर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक यह बैठक करीब ढाई घंटे तक चली। कई इकोनॉमिस्ट ने कहा कि अगर मॉनसून की बारिश अच्छी नहीं हुई तो सितंबर के बाद महंगाई बढ़ सकती है। हालांकि, ऐसा नहीं लगता कि यह रिजर्व बैंक के सुविधाजनक स्तर 4 फीसदी से ऊपर होगा। सभी जानकारी सूत्रों के अनुसार ही है।
पालीवाल वाणी ब्यूरो-Sangeeta Paliwal-Sangeeta Joshi...✍️
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