एप डाउनलोड करें

अस्थायी कर्मचारियों को देना होगा नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन - सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली Published by: अशोक पालीवाल Updated Thu, 13 Apr 2017 05:53 PM
विज्ञापन
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि सर्वोच्च अदालत अपने कई फैसलों में इस सिद्धांत का हवाला दे चुकी है और सुप्रीम कोर्ट का फैसला कानून होता है। जस्टिस केहर द्वारा लिखित फैसले में कहा गया है, “कम वेतन देने या ऐसी कोई और स्थिति बंधुआ मजदूरी के समान है। पीठ ने अपने फैसले में कहा, “कोई भी अपनी मर्जी से कम वेतन पर काम नहीं करता। वो अपने सम्मान और गरिमा की कीमत पर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए इसे स्वीकार करता है। वो अपनी और अपनी प्रतिष्ठा की कीमत पर ऐसा करता है क्योंकि उसे पता होता है कि अगर वो कम वेतन पर काम नहीं करेगा तो उस पर आश्रित इससे बहुत पीड़ित होंगे।

सभी तरह के अस्थायी कर्मचारियों पर लागू होता है

जस्टिस केहर द्वारा लिखित फैसले में कहा गया है, “कम वेतन देने या ऐसी कोई और स्थिति बंधुआ मजदूरी के समान है। इसका उपयोग अपनी प्रभावशाली स्थिति का फायदा उठाते हुए किया जाता है। इसमें कोई शक नहीं कि ये कृत्य शोषणकारी, दमनकारी और परपीड़क है और इससे अस्वैच्छिक दासता थोपी जाती है।” अदालत ने अपने फैसले में साफ कह कि समान काम के लिए समान वेतन का फैसला सभी तरह के अस्थायी कर्मचारियों पर लागू होता है।

समान काम के लिए समान वेतन

अदालत पंजाब सरकार के लिए काम कर रहे एक अस्थायी कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन दिए जाने की याचिका ठुकराई जाने के बाद पीड़ित कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। हाई कोर्ट के आदेश को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत को “समान काम के लिए समान वेतन” के सिद्धांत पर जरूर अमल करना चाहिए क्योंकि उसने 10 अप्रैल 1979 को ‘इंटरनेशनल कोवेनैंट ऑन इकोनॉमिक, सोशल एंड कल्चरल राइटस’ पर दस्तखत किया था।

अनुबंध(कॉन्ट्रैक्ट)पर काम कर रहे लाखों कर्मचारी लाभान्वित होंगे

सुप्रीम कोर्ट ने देश के लाखों अस्थायी कर्मचारियों को राहत देते हुए बुधवार 26 अक्टूबर16 को फैसला दिया है कि सभी अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के बराबर वेतन मिलना चाहिए। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि “समान काम के लिए समान वेतन का सिद्धांत” पर जरूर अमल होना चाहिए। अदालत के इस फैसले से अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) पर काम कर रहे लाखों कर्मचारी लाभान्वित होंगे। जस्टिस जेेएस केहर और जस्टिस एसए बोबड़े की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि “समान काम के लिए समान वेतन” के तहत हर कर्मचारी को ये अधिकार है कि वो नियमित कर्मचारी के बराबर वेतन पाए। पीठ ने अपने फैसले में कहा, “हमारी सुविचारित राय में कृत्रिम प्रतिमानों के आधार पर किसी की मेहनत का फल न देना गलत है। समान काम करने वाले कर्मचारी को कम वेतन नहीं दिया जा सकता। ऐसी हरकत न केवल अपमानजनक है बल्कि मानवीय गरिमा की बुनियाद पर कुठाराघात है।”
अशोक पालीवाल

पालीवाल वाणी की खबर रोज अपटेड 
पालीवाल वाणी हर कदम...आपके साथ...
www.paliwalwani.com

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next