हिमाचल प्रदेश. आर्थिक अपराध शाखा के एडिशनल कमिश्नर आरके सिंह ने बताया कि विनय शर्मा की जिन दो कंपनियों के नाम से लोन लिया गया वो रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में रजिस्टर्ड ही नहीं हैं. कंपनी ने दिल्ली से हिमाचल प्रदेश के पोंटा साहिब सामान पहुंचाने के लिए जिन वाहनों का इस्तेमाल दिखाया था वे वाहन भी फर्जी निकले. इस्तेमाल किए गए बिल भी फर्जी पाए गए. आर्थिक अपराध शाखा ने आरोपी विनय शर्मा को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से गिरफ्तार कर लिया है. उस पर कुल चार हजार करोड़ रुपये की ठगी का आरोप है. आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने ठगी के मामलों में आरोपी विनय शर्मा को गिरफ्तार किया है. ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के मुताबिक आरोपी विनय शर्मा पेट्रोल पंप का मालिक है साथ ही कई आईटी कंपनी चलाता है और एल्युमीनियम स्क्रैप यूनिट का भी संचालन करता है. इसके अलावा विनय शर्मा का हिमाचल प्रदेश में प्राइवेट बसों का भी कारोबार है. ईओडब्ल्यू की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक विनय शर्मा पर ठगी के पांच मामलों में शामिल होने का आरोप है. आरोप के मुताबिक विनय शर्मा ने अपने एक साथी के साथ मिलकर साल 2016 में 15 बैंकों से करीब 1508 करोड़ रुपये लिए और घोटाला कर दिया. इस घोटाले में फर्जी डाक्यूमेंट्स और बिल शामिल किए गए. इन आरोपियों ने नौ अन्य बैंकों से भी 555 करोड़ रुपये की ठगी की. ईओडब्ल्यू के अफसरों ने बताया कि विनय शर्मा और उसके साथियों ने मिलकर एक्साइज ड्यूटी में भी करीब 2000 करोड़ का घोटाला किया है. जिससे जुड़े दो केस सीआईडी हिमाचल प्रदेश में दर्ज हैं. स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की तरफ से बाराखंबा थाने में 2016 में शिकायत दी गई थी कि इंडियन टेक्नोमेक कंपनी के निदेशक आरके शर्मा और विनय शर्मा ने बैंक से 30 करोड़ का लोन लिया था और बाद में ये पैसा सेल कंपनी के जरिए डाइवर्ट कर दिया गया. इसके बाद कंपनी के निदेशक कारोबार बंद कर गायब हो गए.