एकादशी हर महीने में दो बार आती हैं, लेकिन सभी एकादशी के अलग अलग महत्त्व है और इनसे जुडी पौराणिक कथाएं है, इन सभी एकादशी में मोहिनी एकादशी का बहुत अधिक महत्व है. इस तिथि को काफी फलदायी माना जाता है. इस दिन जो भी इंसान पूरे विधि-विधान से व्रत रखता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत रखने वाले लोग भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा करते हैं. मोहिनी एकादशी का व्रत हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है.
मोहिनी एकादशी की शुरुआत 30 अप्रैल 2023 को रात 8 बजकर 28 मिनट से होगी, जिसका समापन अगले दिन यानी कि 1 मई रात को 10 बजकर 9 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, मोहिनी एकादशी का व्रत 1 मई यानी की सोमवार के दिन रखा जाएगा. व्रत के पारण समय की बात करें तो यह 2 मई 2023 को सुबह 5 बजकर 19 मिनट पर किया जाएगा. इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए. वहीं, एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर शुभ मुहूर्त में करें.
जब देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे, तब अमृत की प्राप्ति हुई. इसको पाने के लिए दोनों के बीच युद्ध की नौबत आ गई. असुर देवताओं के मुकाबले अधिक शक्तिशाली थे. ऐसे में सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से आग्रह किया. इसके बाद श्रीहरि ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को अपने मोह में फांस लिया और सारा अमृत देवताओं को पिला दिया, जिससे वह अमर हो गए.
पौराणिक कथा के अनुसार, पुराने समय में भद्रावती नामक नगर में एक धनी व्यक्ति रहता था. उसका नाम धनपाल था. उसका स्वभाव दानी किस्म का था और काफी दान-पुण्य करता था. धनपाल के पांच बेटे था, लेकिन उसका सबसे छोटा बेटा धृष्टबुद्धि हमेशा बुरे कर्मों में लिप्त रहता था. उसकी आदतों से परेशान होकर पिता धनपाल ने उसे घर से निकाल दिया. धृष्टबुद्धि घर से निकाले जाने के बाद भटकते हुए महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर पहुंचा. जब उसने महर्षि से अपने पापों को कम करने के लिए उपाय पूछा तो ऋषि ने मोहिनी एकादशी व्रत रखने की सलाह दी. उसने विधि-विधान से व्रत किया, जिससे उसके सभी पाप नष्ट हो गए और उसको मोक्ष की प्राप्ति हुई.