कुंडली के अशुभ ग्रहों के कारण जीवन में पैदा हुई परेशानियों को दूर करने के लिए कई तरह के उपाय बताए जाते हैं. इनमें से रत्न शास्त्र में बताए रत्न और उप-रत्न भी शामिल हैं. जातक की कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुरूप विशेषज्ञ उसे संबंधित रत्न या उप-रत्न पहनने की सलाह देते हैं. लेकिन रत्न शास्त्र में रत्न धारण करने को लेकर कुछ जरूरी नियम बताए हैं. यदि इन नियमों का पालन न किया जाए तो जातक को फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ सकता है.
रत्न शास्त्र में कुछ रत्नों को एक साथ पहनने की सख्त मनाही की गई है. यानी कि इनमें से कोई रत्न आपने धारण किया हुआ है तो उसके विपरीत रत्न को पहनने से बचना चाहिए.
- यदि व्यक्ति ने मोती धारण किया हुआ है तो उसे गलती से भी हीरा, पन्ना, गोमेद, लहसुनिया और नीलम धारण नहीं करना चाहिए. क्योंकि मोती का संबंध चंद्रमा से है और इसे मानसिक तनाव कम करने के लिए पहना जाता है. जबकि मोती के साथ हीरा, पन्ना, गोमेद, लहसुनिया या नीलम पहनने से व्यक्ति गहरे अवसाद का शिकार हो सकता है.
- इसी तरह जिन लोगों ने लहसुनिया पहना हुआ है, उन्हें उसके साथ माणिक्य, मूंगा, पुखराज या मोती नहीं पहनना चाहिए. वरना जातक कई तरह की मुसीबतों से घिर सकता है.
- इसी तरह पन्ना धारण करने वालों को इसके साथ मूंगा और मोती नहीं पहनना चाहिए. वरना पन्ना पहने का तो फायदा मिलेगा नहीं, इसके साथ पुखराज, मूंगा या मोती धारण करना आर्थिक हानि करवा देगा.
- इसी तरह जो भी व्यक्ति नीलम धारण किए हुए है, उसे माणिक्य, मूंगा, मोती या पुखराज नहीं पहनना चाहिए. इससे जीवन की परेशानियां कम होने की जगह बढ़ जाएंगी.