ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी कोई ग्रह राशि परिवर्तन या किसी अन्य ग्रह के साथ युति बनाते है। तो इस युति से शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के योगों का निर्माण होता है। आपको बता दें कि शनि देव ने 29 अप्रैल को कुंभ राशि में प्रवेश कर लिया है। जहां मंगल ग्रह पहले से कुंभ राशि में विराजमान थे। ये दोनों ग्रह 17 मई साथ कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे। शनि और मंगल की इस युति से “द्वंद्व योग” का निर्माण हुआ है। इस योग को काफी अशुभ माना जाता है। इसलिए इस योग का प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा, लेकिन 3 राशियां ऐसीं हैं जिनको इस दौरान थोड़ा कष्ट हो सकता है। आइए जानते हैं ये 3 राशियां कौन सीं हैं।
कर्क राशि: द्वंद योग का निर्माण आपकी राशि से 8वें भाव में हुआ है। इसलिए इस दौरान आपको दुर्घटना का खतरा है। साथ ही इस दौरान आप किसी चोट, अनहोनी का शिकार हो सकते हैं। वहीं कार्यस्थल पर किसी तरह का जोखिम उठाने से बचें। साथ ही इस समय किसी को धन उधार ना दें तो बेहतर होगा। अन्यथा धन डूब सकता है।
कन्या राशि: आपकी गोचर कुंडली में द्वंद योग का निर्माण छठे भाव में हुआ है। जिसे रोग और शत्रु का स्थान कहा जाता है। इसलिए इस दौरान आपको कोई गंभीर बीमारी हो सकती है। साथ ही शत्रु आपको परेशान कर सकते हैं। कार्यस्थल पर विरोधियों से विरोध का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान अपनी सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत है। खानपान का खासतौर पर ख्याल रखें।
कुंभ राशि: इस योग का निर्माण आपकी राशि मतलब लग्न भाव में हुआ है। इसलिए आप लोगों को ज्यादा संभलकर चलने की जरूरत है। इस दौरान आपको अपनी भाषा पर कंट्रोल रखना चाहिए। बोलने से पहले सोचना चाहिए। इस दौरान आपके बर्ताव में क्रोध और अहंकार देखने को मिलेगा। इससे आपके निजी जीवन और कार्यस्थल पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। सहकर्मी या बॉस से झगड़ा हो सकता है।
1- मंगलवार के दिन बजरंगबाण और सुंदरकाण्ड का पाठ करें। साथ हनुमान जी को चोला चढ़ाएं।
2-शनिवार के दिन शनिदेव से जुड़ी चीजों का दान करें और शनि प्रतिमा के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
3-शनि और मंगल ग्रह की शांति के लिए उनके मंत्रों का जाप करें। साथ ही किसी गरीब को लाल फल दान करें।
4-शनि ग्रह और मंगल ग्रह दोष को दूर करने के लिए यज्ञ करें और लाल बूंदी का प्रसाद बांटें।