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पालीवाल अपडेट : नाथी बाई पालीवाल का बाडा

आपकी कलम Published by: paliwalwani.com Updated Sun, 11 Apr 2021 06:19 PM
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राजस्थान के पाली जिले के पालीवाल समाज 60 खेङा के एक छोटे से गांव भागेसर मे पालीवाल समाज के एक बाल विधवा नाथीबाई पालीवाल ( तेजङ) गौत्र मुदगल से है. कहते है यह कहानी करीब डेढ़ सौ -दो सौ साल पहले की है कि नाथीबाई के विवाह के सालभर बाद ही उसके पति का देवलोक हो गये थे. समाज की प्रथा के अनुसार पुनर्विवाह नही होने के कारण नातीबाई का घर परिवार गाँव व खैङो मे नातीबाई का बहुत ही आदर भाव व मान होता था. मान आदर भाव के कारण परिवार व गाँव के लोग कोई भी काम करते तो नाथीबाई को पुछकर करते थे. इस तरह धीरे-धीरे उम्र दराज होते हुए नातीबाई घर परिवार की मुखिया बनकर हर तरह लेन देनदारी करती रहती थी. कहते है कि नातीबाई के परिवार के पास अपार धन सम्पति होती थी. नातीबाई अपने पोल मे लकडी के पाट पर बैठी रहती थी. कहते है कि किसी भी गाँव या खैङा व किसी जाती के व्यक्ति के परिवार मे शादी-विवाह मायरा भात व कोई काम के लिए रूपयो पैसो की जरूरत होती तो हर आदमी नाती बाई के पास आता था और रूपयो पैसो की जरूरत बताता तो नाती बाई हाथ से एक बारी (अलमारी) की ओर इशारा करती कि जितने चाहिए उतने ले जा और कोई अन्य व्यक्ति आता और रूपयो पैसो की जरूरत बताता तो एक अन्य बारी (अलमारी) की ओर इशारा करती जितना चाहिए उतना ले जा इस प्रकार जिस किसी व्यक्ति को रूपयो पैसो की जरूरत होती तो हर व्यक्ति नातीबाई के पास आता और नातीबाई अलग अलग-अलग बारियो की ओर इशारे करती थी और जिस व्यक्ति को जितने रूपयो पैसो की जरूरत होती अपने इच्छा अनुसार या जितनी जरूरत होती उतने ले जाता था और साल दो साल बाद हर व्यक्ति जिन्होने उधार पैसै लेकर गये थे. अपने ईमानदारी से नाती बाई के पोल में आकर कहते नाती बाई आपके ब्याज (सुद) समेत रूपयो लो तो नातीबाई कहती जहां से लिये उसी बारी (अलमारी) में रख जा. इस प्रकार नाती बाई के पास कोई हिसाब किताब व लेखा जोखा नही लिखा जाता था ना ही जिस व्यक्ति ने रूपयो लेकर गया. उससे हिसाब पुछा जाता था. इस प्रकार किसी भी प्रकार की लिखा पढी नही होती थी. और कहते है कि नातीबाई जिस किसी गाँव या खैङो में जाती थी. तो वह जिस गाँव में रात्री विश्राम या ठहरती तो नातीबाई पुरे गाँव को खाना खिलाती थी.  एक बार गांव में नाती बाई द्वारा 9 कन्याओं का विवाह कराया गया. जिसमे  यज्ञ में घी जो आहुति इतनी दी गई कि वह घी गांव से बाहर चला गया था. और गाँव व खैङो के लोग नातीबाई का आदर भाव बहुत मान रखते थे. इस प्रकार नाती बाई के बाङा वाली कहावत पङी. कहते है कि नातीबाई का देवलोक गमन होने के धीरे-धीरे वह सारी धन दौलत व सम्पति लुफ्त होती गई. आज भी पाली के भागेसर गाँव में नाती बाई के जेठ देवर का परिवार उसी पोल में रहते है. इस प्रकार आज हर क्षेत्र या ऐरिया कोई भी कहता कि “अठै कोई नातीबाई को बाङा समझ रखा है क्या“ नमन है इनको एक समय समाज के घरों को धन दौलत की कोई कमी नहीं आने दी. अगर इसके बारे में और भी किसी के पास में इसके अलावा जानकारी है तो स्पष्ट कराने की कृपा करें. ये प्रसंग जरूर पढ़े,,, आप जरूर अपनी जात पर गौरवान्वित हाेकर गर्व करेंगे. 

●  श्री कन्हैयालाल कुलधर काकेलाव-अध्यक्ष पालीवाल नवयुवक मंडल 60 खेङा

●  पालीवाल वाणी को महत्वपूर्ण जानकारी पालीवाल समाज के वरिष्ठ समाजसेवी श्री फतेहलाल जी जोशी-इंदौर (दड़वल) वालों ने श्री कन्हैयालाल कुलधर के सौजन्य से दी. 

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