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ये जगह किस लिए...सब कुछ बंट गया

आपकी कलम Published by: कमलेश जोशी-कांकरोली राजस्थान Updated Sun, 22 Oct 2017 07:42 PM
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सब कुछ बंट गया ये कलह किस लिए
लड रहे तुम यहां बेवजह किस लिए

अमन से कभी रहना आया ही नहीं
खून में लिपटी ये फतह किस लिए

नफरतों की नदियां निकली निरंतर
समंदर मे ढूंढे फिर ये सतह किस लिए

न शोर मचाओ ना यूं बातें बनाओ
मुहब्बत नही तो ये सुलह किस लिए

सरहदों मे बांट दी इंसानियत यहां
इंसान ही नहीं तो ये जगह किस लिए

कमलेश जोशी-कांकरोली राजस्थान-✍
पालीवाल वाणी ब्यूरो
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