आश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा और कोजागर पूर्णिमा कहते हैं. इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर 2022 दिन रविवार को है. शरद पूर्णिमा को सुख और समृद्धि प्रदान करने वाला कहा गया है. इस रात माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. शरद पूर्णिमा की रात जो जागरण करता है और अपने घर की साफ सफाई करके दीपक जलाता है और माता लक्ष्मी के आगमन की तैयारी करता है, उसके घर माता लक्ष्मी पधारती हैं. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं शरद पूर्णिमा की रात लक्ष्मी पूजा का महत्व और इस रात चंद्रमा के उदय का समय.
शरद पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है. इस दिन उत्तरभाद्रपद और रेवती नक्षत्र का संयोग है. शरद पूर्णिमा को सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात:काल 06 बजकर 18 मिनट से प्रारंभ हो रहा है और शाम 04 बजकर 21 मिनट तक है. इस योग में किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं. यह सभी कार्यों को सिद्ध करने वाला योग है.
शरद पूर्णिमा को उत्तरभाद्रपद नक्षत्र शाम 04 बजकर 21 मिनट तक है और उसके बाद से रेवती नक्षत्र लग जाएगा. रेवती नक्षत्र को भाग्यशाली माना जाता है. इस नक्षत्र में गृह प्रवेश, विवाह, कपड़े बनवाना, पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति, देव प्रतिष्ठा आदि जैसे शुभ कार्य होते हैं.
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रोदय शाम 05 बजकर 51 मिनट पर होगा. इस रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होता है. इस वजह से रात में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रख देते हैं. रातभर खीर में चंद्रमा की किरणें पड़ने से वह औषधीय गुणों वाला हो जाता है. उसे खाने से सेहत अच्छी होती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात में माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक में भ्रमण करती हैं. वह इस दौरान भ्रमण करते हुए पूछती हैं कि को जाग री? अर्थात् कौन जाग रहा है? इस वजह से शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा कहते हैं. इस वजह से रात्रि प्रहर में मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं.
शरद पूर्णिमा की रात अपने घर की साफ-सफाई करके पूजा स्थान को सजाना चाहिए. माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए फूल, माला, फल और उनका प्रिय भोग खीर बनाकर रखना चाहिए. रात्रि प्रहर में जागरण करना चाहिए और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. इस दौरान घर के मुख्य द्वार को खोलकर रखना चाहिए.
ताकि माता लक्ष्मी की नजर आपके घर पर पड़े और वे आपके घर में आएं. माता लक्ष्मी देखती हैं कि जो उनका स्वागत करने के लिए जग रहे हैं, साफ सफाई किए हैं, उनके वहां वे जाती हैं. जो लोग अपने घरों को बंद करके और गंदा रखते हैं, उनके घर के बाहर से ही माता लक्ष्मी लौट जाती है.
दरअसल, शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा धरती के बहुत करीब होता है. जिसके कारण चंद्रमा से निकलने वाली तरंगों में मौजूद रासायनिक तत्व सीधे धरती पर आकर गिरते हैं. इसी कारण इस रात को चांद से निकलने वाली तरंगों से मिलने वाले पोषण तत्व मिल जाते हैं. जिसे दूसरे दिन खाली पेट खाने से शरीर में ऊर्जा प्रवाहित होती है.