रतलाम :
ईयर व हेडफोन का अत्यधिक उपयोग युवाओं को बहरा कर रहा है, ये हम नहीं कह रहे, ये खुद अस्पताल में आए मरीजों का कहना है, किसी को सुनाई देना कम हो गया है, तो किसी के कान में सीटी बजने लगी है। इस प्रकार के हर महीने दर्जनों मरीज आ रहे हैं, इसलिए अगर आप भी ईयरफोन व हेडफोन का अत्यधिक उपयोग करते हैं, तो आज ही कम कर दें, ताकि आपको किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े।
जानकारी के अनुसार ईयरफोन और हेडफोन का उपयोग युवाओं के लिए आम बात हो गई है, अधिकतर युवा भागदौड़ भरी जिंदगी और समय की कमी के कारण ईयरफोन व हेडफोन का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन यही उपयोग उन्हें बहरा बनाने लगा है, क्योंकि जब आपके कानों में सीधे आवाज गूंजती है, तो उसका सीधा असर आपकी सुनाई देने वाली क्षमता पर पड़ता है, आपकी सुनने की क्षमता दिन-ब-दिन कम होती जा रही है।
डॉक्टरों ने बताया कि अगर ईअरफोन व हेडफोन के कारण एक बार किसी को सुनाई देना या कान में अन्य कोई परेशानी शुरू हो जाती है, तो उस स्थिति से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है, इसलिए आप बहुत जरूरी हो तभी ईयर व हेडफोन का उपयोग करें, अन्यथा बिल्कुल नहीं करें, इससे आपको किसी प्रकार की विपरित परिस्थति का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगर आपके साथ भी इस प्रकार की कोई स्थिति निर्मित हो गई है या आपको भी लगता है कि ईयरफोन व हेडफोन के कारण सुनाई कम देने लगा है, तो आप आज से ही एहतियात रखना शुरू कर दें, ताकि जो बची हुई सुनने की क्षमता को बचाया जा सके। बहरापन बढऩे का कोई ऐसा कोई अकेला मामला नहीं हैं, जिला अस्पताल में हर महीने 25 से 30 पीडित युवा आते हैं। नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ इसे चिंताजनक स्थिति मान रहे हैं।
करीब एक सप्ताह पहले ही महज कक्षा 10 वीं के एक स्टूडेंट को कान में सीटी बजने जैसा सुनाई देने लगा, स्टूडेंट ने ये समस्या लगातार होने पर अपने माता-पिता को बताई, वे अपने बेटे को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे और अच्छे डॉक्टरों को दिखाया, तो जांच में सामने आया कि कान की नसें रोजाना घंटों तक ईयर फोन लगाने के चलते कमजोर हो गई हैं। जिससे सुनने की शक्ति भी प्रभावित हुई है।
ईएनटी मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार स्टाइल स्टेटमेंट के रूप में ईयर फोन, हेड फोन, ईयर बड्स समेत अन्य संसाधन का उपयोग किए जाने से यह समस्या बढ़ती जा रही है। बच्चे ऑनलाइन क्लास, गाने सुनने, कॉल पर बात करने से लेकर सोशल मीडिया चलाने तक इन ध्वनि संसाधन का उपयोग करते हैं। इससे उनकी श्रवण शक्ति कम हो रही है। समय पर जागरुक नहीं हुए तो बहरापन होने की संभावना बढ़ जाती है।
न केवल ईयरफोन बल्कि कई बार पार्टी, म्यूजिक इवेंट में औसतन 100 डेसिबल से ज्यादा का शोर होता है। ऐसे में तेज आवाज में बज रहे गाने भी युवाओं के सुनने की क्षमता को प्रभावित कर रहे हैं। लगातार तेज आवाज में गाने सुनने से बिना एहसास के लोग बहरेपन का शिकार हो रहे हैं। वायु प्रदूषण से भी बार-बार एलर्जी होती है। जिससे कान के पर्दे में सिकुडऩ के मामले बढ़ते जा रहे हैं।
कोई भी संसाधन सुविधा के लिए है, लेकिन इसको समस्या में नहीं बदला जाए। इन दिनों युवाओं में श्रवण शक्ति कमजोर हो रही है, इसकी वजह अधिक समय तक कान में ईयर व हेडफोन का उपयोग है।
- डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल