बढ़ते घाटे की वजह से वाडिया ग्रुप की गो फर्स्ट एयरलाइन ने खुद को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. कंपनी ने सीईओ कौशिक खोना ने पीटीआई को बताया कि कंपनी ने अपने 28 फ्लाइट्स को ग्राउडेंड कर दिया है. कंपनी ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के सामने वॉलेंटरी इनसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसिडिंग्स के लिए आवेदन भी दे दिया है. एयरलाइन के सीईओ खोना ने कहा कि प्रैट एंड व्हिटनी ने इंजन की सप्लाई नहीं की, जिसकी वजह से उन्हें अपने 28 विमानों को ग्राउंडेड करना पड़ा और फंड क्राइसिस खड़ा हो गया. एयरलाइन ने सरकार को घटनाक्रम के बारे में सूचित किया है और डीजीसीए डिटेल रिपोर्ट भी सौंपेगी.
इससे पहले आज सुबह की खबर आई थी कि गो फर्स्ट एयरलाइन ने 3 और 4 मई को पेट्रोलियम कंपनियों का बकाया ना चुका पाने के कारण अपनी उड़ानों को कैंसल कर दिया है. एयरलाइन गंभीर कैश क्रंच झेल रही है. इसके अलावा कंपनी को बार-बार होने वाले इश्यू और प्रैट एंड व्हिटनी इंजनों की सप्लाई होने की वजह से आधे से ज्यादा विमानों को ग्राउंडिड करना पड़ा है. यह इंजन एयरबस ए320 नियो एयरक्राफ्ट को पॉवर सप्लाई करते हैं.
ऑयल मार्केटिंग कंपनी के एक अधिकारी के अनुसार एयरलाइन कैश एंड कैरी मोड पर है, जिसका मतलब है कि इसे ऑपरेट करने वाली उड़ानों की संख्या के लिए दैनिक भुगतान करना होगा. वाडिया ग्रुप की यह एयरलाइन स्ट्रैटिजिक इंवेस्टर की तलाश कर रही है और संभावित निवेशकों से बात कर रही है. इस बात पर सहमति बनी है कि अगर भुगतान नहीं होता है तो वेंडर कारोबार बंद कर सकता है. मतलब साफ है कि भी उसी ट्रैक की ओर जा रही है जो कभी किंगफिशर गई थी. गो फर्स्ट की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
इसके अलावा गो फर्स्ट एयरलाइन ने डेलावेयर फेडरल कोर्ट में यूएस-बेस्ड इंजन मेकर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है, जिसमें एक मध्यस्थता अदालत के फैसले को लागू कराने की मांग की गई है, जो उसने प्रैट एंड व्हिटनी के खिलाफ जीता था. इस फैसले में कहा गया था कि प्रैट एंड व्हिटनी को एयरलाइन कंपनी को इंजन प्रोवाइड कराने होंगे. अगर कंपनी ऐसा नहीं करती है तो एयरलाइन के बंद होने का खतरा है. 30 मार्च के फैसले में कहा गया था कि अगर इमरजेंसी इंजन उपलब्ध नहीं कराए गए तो गो फर्स्ट को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, जिसकी भरपाई मुश्किल है.