नागपुर. RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि चुनाव में मुकाबला तो जरूरी है, लेकिन यह झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए. जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, गर्व करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता, अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों मे सेवक कहलाने का अधिकारी है.
भागवत नागपुर में संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन में शामिल हुए. यहां भागवत ने चुनाव, राजनीति और राजनीतिक दलों के रवैये पर बात की. उन्होंने कहा कि जब चुनाव होता है, तो मुकाबला जरूरी होता है. इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है. यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए.
भागवत ने मणिपुर की स्थिति पर कहा मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है. बीते 10 साल से राज्य में शांति थी, लेकिन अचानक से वहां गन कल्चर बढ़ गया. जरूरी है कि इस समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए. भागवत ने कहा, संघ चुनाव नतीजों के एनालिसिस में नहीं उलझता लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद बाहर का माहौल अलग है. नई सरकार भी बन गई है.
ऐसा क्यों हुआ, संघ को इससे मतलब नहीं है. संघ हर चुनाव में जनमत को परिष्कृत करने का काम करता है, इस बार भी किया, लेकिन नतीजों के विश्लेषण में नहीं उलझता. लोगों ने जनादेश दिया है, सब कुछ उसी के अनुसार होगा. क्यों? कैसे? संघ इसमें नहीं पड़ता। दुनिया भर में समाज में बदलाव आया है, जिससे व्यवस्थागत बदलाव हुए हैं. यही लोकतंत्र का सार है.
उनका कहना था, चुनावी मुकाबला झूठ पर आधारित न हो जब चुनाव होता है, तो मुकाबला जरूरी होता है, इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है. यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए. लोग क्यों चुने जाते हैं. संसद में जाने के लिए, विभिन्न मुद्दों पर आम सहमति बनाने के लिए. हमारी परंपरा आम सहमति बनाने की है.
भागवत बोले, संसद में दो पक्ष क्यों होते हैं? ताकि, किसी भी मुद्दे के दोनों पक्षों को संबोधित किया जा सके. किसी भी सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही हर मुद्दे के दो पहलू होते हैं. अगर एक पक्ष एक पक्ष को संबोधित करता है, तो विपक्षी दल को दूसरे आयाम को संबोधित करना चाहिए, ताकि हम सही निर्णय पर पहुंच सकें.