इंदौर.
आखिर जैन समाज से उप राष्ट्रपति क्यों नहीं हो सकता?, हम जैन भी भारत के नागरिक हैं. जिन शासन एकता संघ एवं विश्व जैन संगठन के प्रचारक राजेश जैन दद्दू एवं मयंक जैन ने अपने संयुक्त व्यक्तव में कहा कि आज हर एक समाज को उसका हक मिल रहा है. हर एक बड़े पद पर कई समाजों के व्यक्तित्व प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. सिर्फ जैनों की उपेक्षा क्यों.
सिर्फ जैन समाज को छोड़कर ऐसा जैन समाज के साथ ही क्यों? यही जैन समाज जो देश की प्रगति में नित प्रतिदिन अपना सर्वस्व न्यौछावर कर रही है. वही जैन समाज जो प्राचीन काल से ही देश की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती आ रही है.
दद्दू ने कहा कि अब समय आ गया है कि अब जैन समाज को भी मुख्य धारा में जोड़ा जाए और अबकी बार उपराष्ट्रपति जैन समाज से चुना जाए. जैन समाज में भी राजनेतिक, उद्योगपति, अर्थशास्त्री, प्रोफेसर, इंजिनियर, समाज सेवी एवं सोशल वर्कर डाक्टर सभी है.
सरकार ने जैन समाज को बहुत कमजोर समझ रखा है. क्या जैन समाज नेताओं के लिए सिर्फ ATM मशीन है. अब समय आ गया है कि पूरे देश की जैन समाज से उपराष्ट्रपति पद के लिए जैन समाज से उपराष्ट्रपति पद पर आसीन हो ऐसा प्रयास किया जाए.