राजेश जैन दद्दू
इंदौर.
विश्व जैन संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संजय जैन जी के इंदौर आगमन पर, 6 अक्टूबर 2025 को अभिनव कला समाज सभागृह में एक भव्य स्वागत एवं अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में श्री नेमि गिरनार पदयात्रा एवं वंदना (2 जुलाई 2025) में सहयोग देने वाले सभी पुण्यार्जक समाज बंधुओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। विश्व जैन संगठन के प्रचारक एवं इंदौर शाखा अध्यक्ष मयंक जैन ने अपनी ओजस्वी वाणी में गिरनार यात्रा के अतुलनीय महत्व और जैन समाज की एकजुटता को दर्शाया और श्री नेमि गिरनार पदयात्रा की सफलताओं पर प्रकाश डाला।
दद्दू ने बताया कि इस यात्रा ने 25,000 से अधिक जीवों को गिरनार जी की पाँचवीं टोंक के अद्भुत दर्शन कराए, जिससे जैन सिद्धक्षेत्र के प्रति देशभर में करोड़ों लोगों में श्रद्धा और जागृति उत्पन्न हुई। यात्रा ने संपूर्ण भारत वर्षीय जैन समाज को भगवान नेमिनाथ के वितरागता और अहिंसा के संदेश से जोड़ा और लाखों युवाओं को मोक्ष स्थली का ज्ञान कराया। इस अवसर पर
वरिष्ठ समाजसेवी नकुल पाटोदी ने आगे की रणनीति पर जोर देते हुए समाज को सतत सक्रिय रहने के लिए प्रेरित किया और युवाओं में जोश भरा पूर्व डीएसपी डीके जैन ने समाज में व्याप्त विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु एक वृहद कार्ययोजना पर कार्य करने का आह्वान किया।
वरिष्ठ श्री निर्मल जी कासलीवाल ने समाजजन से नई पीढ़ी को धर्म और संस्कार से जोड़कर तैयार करने की आवश्यकता बताई।वरिष्ठ श्री कैलाश वेद जी ने अपने संबोधन से उपस्थित जनसमूह को धर्म के प्रति समर्पण और तीर्थों की रक्षा हेतु प्रेरित किया। श्री दीपक दूगड़ ने समाज एकता पर जोर डाला।
श्री आनंद कासलीवाल और शाखा महामंत्री श्री ओम पाटोदी ने भी अपने विचार व्यक्त कर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।
आभार श्री राजेश दद्दू ने माना। श्री राहुल जैन एडवोकेट, श्री पारस जैन, श्री आकाश जैन, श्री महावीर सिंघई, श्री राजीव जैन, श्री अमित जैन, श्री जयकुमार गोधा, श्री जितेंद्र जैन, श्री संजय जैन, श्री अभय जैन, श्री स्नेह जैन का भी सम्मान किया गया।
संकल्प और आगामी लक्ष्य : अध्यक्ष श्री जैन जी ने आगामी नेमीनाथ मोक्ष कल्याणक (20 जुलाई 2026) के लिए एक ऐतिहासिक संकल्प की घोषणा की, जिसके तहत कम से कम 1 लाख नेमिभक्तों को गिरनार पर निर्वाण लाडू समर्पित करने के लिए एकत्रित होने का लक्ष्य रखा गया है।
समारोह में उपस्थित सभी पुण्यार्जकों और विशेष सहयोगियों ने यह संकल्प लिया कि वे धर्म, संस्कृति और जैन समाज के चल-अचल तीर्थों की रक्षा के लिए सदैव समर्पित रहेंगे। यह कार्यक्रम जैन समाज की अदम्य एकता और समर्पण का प्रतीक बन गया।