एप डाउनलोड करें

indore news : मां-बाप के चरणों में ही सारा संसार है : दिनेश देशी घी

इंदौर Published by: sunil paliwal-Anil Bagora Updated Mon, 04 Mar 2024 11:06 PM
विज्ञापन
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

308 वां इंदौर स्थापना दिवस पर बड़ा रावला परिसर में सजी ठहाकों की महफिल

इंदौर : इंदौर स्थापना दिवस समारोह समिति द्वारा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी 308 वां इंदौर स्थापना दिवस पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जूनी इंदौर स्थित बड़ा रावला परिसर में आयोजित हुई ठहाकों की इस महफिल में प्रदेशभर से आए नामचिन कवि-कवियत्रियों ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति से मध्यरात्रि तक कवि सम्मेलन प्रेमियों को बांधे रखा। जूनी इंदौर क्षेत्र में ठहाकों की यह महफिल अल सुबह तक रोशन रही।

दिल्ली से आए कवि शंभू शिखर ने मंच पर आते ही मोदी जी की तारीफ करते हुए कहा कि जब तक नहीं आते हैं 15 लाख खाते में... तब तक तुम्हें मोदीजी हम जीताते रहेंगे। रोने के लिए और भी महफिल हैं जहां में शंभू के साथ हास्य के उत्सव मनाते रहिए।

अलवर के कवि विनीत चौहान ने अयोध्या के राम मंदिर पर कहा कि सरयू में कुछ हलचल सी हैं, हलचल है नई बहारों में... भगवान राम के मंदिर की चर्चा हैं चांद-सितारों में। यूं लगा राम फिर लौटे हैं... अपने ही कुछ वनवासों से... यूं लगा अयोध्या नमित हुई सीता के दृढ़ विश्वासों से... शबरी की दीर्घ प्रतिक्षाएं बरसों की पूर्ण हुई लगती... ज्यों भरत लला के आंसू की अवधि संपूर्ण हुई लगती... रुनझुन-रुनझुन, चप्पा-चप्पा... जयघोष छिपा झंकारों में भगवान राम के मंदिर की चर्चा हैं चांद-सितारों में।

!! राष्ट्रकवि पं. सत्यनारायण सत्तन को सुनने लगा कवि सम्मेलन प्रेमियों का जमावड़ा, आम से लेकर खास ने मध्यरात्रि तक लिया आनंद, ठहाकों की महफिल में अयोध्या के राम मंदिर का भावपूर्ण वर्णन भी किया !! 

शाजापुर के कवि दिनेश देशी घी ने आते ही मां का महत्व बताते हुए कहा कि - मां-महात्मा और परमात्मा इन तीनों की महिमा न्यारी हैं... पर इन तीनों में मां सब पर भारी है... मां ममता है पिता प्यार है... मां-बाप के चरणों में ही सारा संसार है... रचना से सभी को भाव-विभोर कर दिया। उन्होंने फिल्मी जगत से जुड़ी हस्तियों की अपनी रचना को प्रस्तुत करते हुए कहा कि पतन हो चला संस्कृति का जब से गीत बजने लगे इलू ओये-ओये... तो कबीर औ मीरा के दोहे फूट कर रोए... धक-धक सुनके माधुरी की दुनिया भई दीवानी थी... ऐश्वर्या के कजरारे की घर पर चली कहानी थी... बूढ़े भारत के हिस्से में यह कैसी बदनामी थी... देशी घी हरा बोलो के मुंह हमने सुनी कहानी थी... रचना ने खूब तालियां बटोरी।

राजस्थान दौसा की सपना सोनी ने कहा कि तुम मृग बन जाओ कान्हा... मैं कस्तूरी बन जाऊं... तुम ढढ़़ो सारे जग में... मैं तुम पर गंध लुटाऊ रचना की प्रस्तुति से खूब तालियां बटोरी। नजर मिलाकर चुराने की बात मत करना... कभी भी दिल को दुखाने की बात मत करना... हर एक तौर मुझे आजमा लिया तुमने... अब अपना हाथ छुड़ाने की बात मत करना... रचना ने पूरी कवि सम्मेलन महफिल को ही लूट लिया।

श्री इंदौर स्थापना दिवस समारोह समिति के युवराज वरदराज मण्डलोई जमींदार, राव श्रीकांत मण्डलोई एवं माधवी मण्डलोई ने बताया कि कवि सम्मेलन की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई। दिल्ली, बनारस, शाजापुर, अलवर सहित अन्य प्रदेश से आए कवियों और कवियित्रियों ने अपनी रचना से सभी श्रोताओं को खुब गुददुगाया।

राष्ट्रकवि सत्यनारायण सत्तन ने अपनी बोली के तीखे बाणों से सभी श्रोताओं का ध्यानाकर्षण किया। कवि सम्मेलन में रमेश शर्मा (चितौड़), डॉ. राजीव राज के गीतों पर रात भर श्रोता झूमते रहे। वहीं अनिल चौबे जी ने हम बनारस वाले हैं जहां बटन दबाते हैं वो प्रधानमंत्री बन जाते हैं। वहीं कल्पना शुक्ला ने भगवान राम के भजनों की प्रस्तुति से सभी श्रोताओं को दिल जीत लिया। कवि सम्मेलन के सूत्रधार पं. राष्ट्रकवि सत्यनारायण सत्तन थे।

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next