"वन वे फैसले" को लागू हुए सोमवार को 7 दिन मुक्कमल हो रहें हैं। शहर की मेरुदंड कही जाने वाली दोनो प्रमुख सड़कों पर ये फैसला लागू किया गया था। जवाहरमार्ग और महात्मा गांधी मार्ग। महात्मा गांधी मार्ग का एक बड़ा हिस्सा पूर्व से ही वन वे हैं। लिहाजा यहां कम परेशानी सामने आई। लेकिन जवाहरमार्ग के वन वे होने से परेशानियां उभरकर सामने आई। वन वे के बाद इस सड़क का ट्रेफ़िक एक तरफ से तो सरपट दौड़ता नजर आ रहा है लेकिन दूसरी तरफ के ट्रेफ़िक की रोक ने जवाहरमार्ग से जुड़े रहवासी इलाको की सड़कों में ट्रेफ़िक प्रवेश करवा दिया हैं। इन गलियों में दिन में कई कई बार जाम लग रहा हैं।
सबसे बड़ी समस्या शहर की आन बान शान मध्य क्षेत्र के बाजारों के सामने आई हैं। इस क्षेत्र के रिटेल बाजारों में फैसले लागू होने के शुरुआती सात दिनों में व्यापार पर गहरा असर किया हैं। इसमे मारोठिया बाजार, सांठा बाज़ार, बर्तन बाजार, बजाजखाना चौक, सराफा, सीतलामाता बाजार, नलिया बाखल, क्लॉथ मार्केट, शक्कर बाजार, इतवारिया बाज़ार आदि प्रमुख है। इन बाजारों से जुड़े व्यापारियों का कहना हैं कि अगर बाजार और व्यापार दोनो बचाना है तो दो पहिया वाहन वालो को छूट देना होगी। व्यापारियों का कहना है कि अभी लग्नसरा का दौर शुरू हो गया हैं। शादी ब्याह की सम्पूर्ण खरीददारी बीच शहर के इन अहम बाजारों से ही होती हैं। ऐसे में ग्राहक की बाजार तक आवाजाही सुगम होना जरूरी है। सभी दुकाने ग्राहकी की आस में माल से लबालब है। ग्राहक ही नही आएगा तो क्या करेंगे इस माल का?
शहर के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र का समूचा ट्रेफ़िक जवाहरमार्ग के जरिये ही बाजारों में प्रवेश करता है। चाहे वो राजमोहल्ला से जवाहर मार्ग पर इंट्री ले या साउथ राजमोहल्ला,बियाबानी, जयरामपुर कालोनी, छत्रीबाग, हरसिद्धि, पंढरीनाथ, नंदलालपूरा, जूनी इन्दौर से आये। ट्रेफ़िक इन्ही मुहानों से जवाहर मार्ग पर प्रवेश करता है और फिर यह से सीधे बीच शहर के बाजारों तक जाता हैं।
अब दक्षिणी पश्चिमी हिस्से के बाशिंदों को जवाहरमार्ग पर इंट्री लेना है तो उसे राजमोहल्ला की तरफ़ बढ़ना होगा। वह सरवटे की तरफ नही जा सकता। इस हिस्से के नागरिको को ऊपर लिखे किसी भी मुहाने से जवाहरमार्ग पर आने के बाद पूर्व दिशा की तरफ यानी पटेल प्रतिमा तरफ नही जाने दिया जा रहा हैं। अब महू नाका, धार रॉड, राजेन्द्र नगर से चला ट्रेफ़िक राजमोहल्ला से बड़ा गणपति होकर एमजी रोड के हिस्से से बाजारों में प्रवेश करेगा? या वो इन बाजारों के लिए नंदलालपुरा, हरसिद्धि, चम्पाबाग से इंट्री लेगा?
जवाहरमार्ग पर ट्रेफ़िक की दुर्गति दूर करना है तो कमर्शियल वाहनों की आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगाना होगी। थोक बाजारों की माल ढुलाई को भी जवाहरमार्ग से दूर करना होगा। अभी दिनभर इस सड़क पर माल से लदे लोडिंग रिक्शा व अन्य भारवाहक दौड़ते रहते हैं।
जवाहरमार्ग के यातायात को सुगम करना है तो सबसे पहले ट्रेवल्स वालो को जवाहरमार्ग से दूर कर शहर की सीमा पर पहुँचना होगा। ट्रेवल्स वालो के सिर्फ बुकिंग दफ्तर यहां संचालित हो। शेष बसों का ट्रक बनाकर माल लदाई के गोडाउन बाहर हो और शहर की सीमा से ही सवारियों को बैठाने की सख्ती करना होगी। जब भोपाल जाने वाले सामान्य यात्री को पालदा तीन इमली और अब केलोद करताल से बस पकड़ना होगी तो ये ट्रेवल्स के "जंवाई राजाओ" को बीच शहर से सवारी बैठाने उतारने, ट्रांसपोर्ट का गोदाम चलाने की इजाज़त क्यो? इनका धंधा नगर निगम सीमा से बाहर किये बगैर जवाहरमार्ग का वन वे आम इन्दोरी को " तलने" के सिवाय कुछ नही माना जायेगा।
आखिर इस शहर में इतनी ई रिक्शा और लोडिंग रिक्शाओं की जरूरत है? देखते ही देखते इनकी संख्या में बेतहाशा इज़ाफ़ा हुआ है। धुंए उगलने के नाम पर शहर के महज 400 टेम्पो बदनाम करार देकर बन्द कर दिये गए। आज उसी इन्दौर में हजारो की संख्या में धुंए उगलते डीजल के आटो रिक्शा हजारो में दौड़ रहें हैं। क्या इनसे प्रदूषण नही हो रहा? कहा है वे जिम्मेदार जिन्होंने इन्दौर में टेम्पो बन्द करवाये थे? क्या उन्हें जवाहरमार्ग के ट्रेफ़िक का कचूमर निकालते, धुंआ उगलते लोडिंग वाहन नजर नही आते? बस सारा जोर औसत इंदोरियो पर?
जवाहरमार्ग के बेतरतीब ट्रेफ़िक का निदान सरवटे टू गंगवाल सड़क को पूर्ण करने व एलिवेटेड ब्रिज से ही होगा। जवाहरमार्ग के ऊपर एलिवेटेड ब्रिज के जरिये हवा में औऱ जमीन पर सरवटे टू गंगवाल सड़क के जरिये समानांतर ट्रेफ़िक चलाना ही होगा। आम आदमी की आवाजाही पर रोक इस समस्या का स्थायी हल नही हैं। ये बात 7 दिन तक इलाके में मुस्तेदी से ड्यूटी कर रहे सरकारी अमले से भी पूछी जा सकती हैं कि उनकी नजर हटते ही जवाहरमार्ग के क्या हाल है? ये ही हाल टोरी कार्नर से बड़ा गणपति तरफ जाते ट्रेफ़िक का हैं। वह " सत्तन गुरु" की गली में समा नही रहा है औऱ अगल बगल की गलियों से फिर एमजी रोड पर आ रहा है।