नई दिल्ली: नोटबंदी के मुद्दे पर संसद में एक हफ्ते के हंगामे के बाद विपक्ष सोमवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने जा रहा है. वाम मोर्चे ने केरल, बंगाल और त्रिपुरा में बंद का आह्वान किया है. लेफ्ट पार्टियों का इन तीनों राज्यों में मजबूत जनाधार है.
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कहा है कि वे बंद के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन देशभर में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. कांग्रेस ने इसे जन आक्रोश दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नोटबंदी के विरोध में कोलकाता में दोपहर 1 बजे मार्च निकालेंगी. सूत्रों ने कहा कि इसमें करीब एक लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है. वहीं आम आदमी पार्टी राजधानी दिल्ली के सेंट्रल पार्क में विरोध प्रदर्शन करेगी|
बंगाल में बंद को उचित ठहराते हुए वाम नेता विमान बोस ने कहा कि नोटबंदी के कारण लोग परेशानी झेल रहे हैं, जिस कारण विरोध जताने के लिए बंद का आह्वान जरूरी था.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू इस विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होगी, क्योंकि नीतीश ने 500 और 1000 रुपये के नोट को बंद करने का समर्थन किया है. नीतीश का कहना है कि नोटबंदी से कालेधन के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी. ओडिशा में सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजद) भी विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा नहीं लेगा. पार्टी के प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने नोटबंदी के फैसले का समर्थन किया है.
रविवार को यूपी के कुशीनगर में पीएम नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि हम भ्रष्टाचार और कालाधन बंद करने में लगे हैं और कुछ लोग भारत बंद करने में लगे हैं.
कांग्रेस ने रविवार को साफ किया कि उसने सोमवार को भारत बंद का आह्वान नहीं किया है, लेकिन नोटबंदी के मुद्दे पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे. पार्टी नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार का यह फैसला राजनीतिक कदम है, जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के रूप में भुनाया जा रहा है.
केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि यह साफ है कि कांग्रेस का तथाकथित आक्रोश वास्तविक नहीं है, क्योंकि उसे नोटबंदी के मुद्दे पर गुस्सा होने का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस लोगों के नब्ज से कट गई है और वह ऐसे झूठे प्रदर्शन के लिए और भारी कीमत चुकाएगी.
केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा, यह स्पष्ट है कि देश एकजुट है और नोटबंदी पर हमारे साथ है. महज कुछ ही दल हैं, जिन्होंने भारत बंद का समर्थन किया है. पहले जो आवाज उठा भी रहे थे वो अब डर से पीछे पलट रहे हैं.
पिछले सप्ताह विपक्ष ने संसद में नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग करते पूरे हफ्ते कार्यवाही बाधित रखी. लोकसभा में विपक्ष ने बहस के साथ वोटिंग की मांग भी रखी. लेकिन सरकार ने उनकी सारी मांगें ठुकरा दी. विपक्ष का कहना है कि कालेधन को बाहर निकालने के लिए नोटबंदी के फैसले का वे समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार ने बिना तैयारी के यह कदम उठाया, जिससे आम नागरिकों को भारी परेशानी हो रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर की रात को नोटबंदी की घोषणा किए जाने के बाद से लोग गंभीर नकदी संकट से जूझ रहे हैं. बैंकों और एटीएम के बाहर लगातार लंबी कतारें देखी जा रही हैं. हालांकि सरकार का कहना है कि आम जनता के बहुत बड़े तबके ने नोटबंदी के फैसले का भरपूर स्वागत किया है
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