भोपाल : विधानसभा चुनाव में मिली असफलता पर दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश के नेताओं के साथ चर्चा की। नेताओं ने 1-1 सीट की रिपोर्ट पेश की। प्रदेश के नेताओं ने हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा। यह बताने की कोशिश की सत्तारूढ़ भाजपा ने प्रशासन से मिलीभगत कर चुनाव जीता।
प्रत्याशियों के चयन पर भी सवाल उठे। यह भी सामने आया कि जिन पर चुनाव जिताने की जिम्मेदारी थी, उनमें से कई खुद हार गए। कुछ ने करीबियों को टिकट दिलाया, उन्हें जिताने का भरोसा दिया, लेकिन न तो वे जीत सके, न जिता सके। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन पर बैठक में चर्चा नहीं हुई। न ही कमलनाथ से इस्तीफा मांगा गया। संगठन में कसावट लाने की बात जरूर कही गई। इससे यह भी तय हो गया कि कमलनाथ के नेतृत्व में मप्र में लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा। बैठक में कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव तैयारियों का खाका पेश किया।
केंद्रीय नेतृत्व ने पूछा कि सभी स्थितियां अनुकूल थीं तब ऐसे परिणाम क्यों? कमलनाथ ने कहा समीक्षा के लिए उम्मीदवारों संग बैठक की है। 10 दिन में रिपोर्ट मांगी है। लोस चुनाव की तैयारी को लेकर कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया जा रहा है। उम्मीदवार, पर्यवेक्षक, जिला प्रभारी और संगठन मंत्रियों की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी।
बैठक के बाद कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष पद को छोउऩे को लेकर चल रही अटकलों पर भी विराम लग गया। संकेत दिए गए कि कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालते रहेंगे। नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति जल्द होगी। इसको लेकर पर्यवेक्षक नियुक्त किए जाएंगे। बैठक के दौरान जल्द पर्यवेक्षक नियुक्त किए जाने का आग्रह किया गया।
बैठक में कमलनाथ, गोविंद सिंह, दिग्विजय सिंह, कमलेश्वर पटेल, ओंकार सिंह मरकाम ने चुनावी अनुभव साझा किए। हार के कारणों पर चर्चा हुई। सुझाव दिया कि लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की स्थिति समय से स्पष्ट हो, प्रत्याशी की घोषणा भी पहले करें। जल्द पर्यवेक्षक भेजें ताकि नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति हो। राहुल गांधी को संगठन और विधायक दल के लिए मार्गदर्शन देने के लिए अधिकृत किया गया।