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ऐसे लोगों पर हमेशा बनी रहती हैं शनिदेव की टेढ़ी नजर, कहीं आप भी तो नहीं शामिल?

ज्योतिषी Published by: paliwalwani Updated Sun, 07 Jan 2024 01:04 AM
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ऐसे लोगों पर हमेशा बनी रहती हैं शनिदेव की टेढ़ी नजर, कहीं आप भी तो नहीं शामिल?
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शनिदेव साढ़े साती और ढैया के दौरान व्यक्ति को अशुभ फल प्रदान करते हैं. शनिदेव की कृपा पाने के लिए इन आदतों से दूरी बना लें तो बेहतर होगा.

शनिदेव न्याय के देवता हैं और कलियुग में शनिदेव को दंडाधिकारी कहा जाता है। सही काम करने वालों पर शनिदेव मेहरबान रहते हैं और गलत काम करने वालों को शनिदेव कभी माफ नहीं करते। अमीर हो या गरीब, गलत काम करने वाले लोगों को शनिदेव कभी नहीं छोड़ते। गलत काम करने वाले जातकों पर शनिदेव अपनी दशा, अंर्तदशा, साढ़ेसाती और ढैया के दौरान अशुभ फल प्रदान करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि इंसान तो क्या देवता भी शनिदेव के प्रकोप से नहीं बच पाते। 

चलिए जानते हैं कि ऐसे कौन लोग हैं जो शनिदेव की क्रूर दृष्टि का शिकार बनते हैं और उन्हें शनिदेव दंड देते हैं। 

दूसरों के साथ धोखा करने वाला

  • जो लोग स्वार्थवश या बिना किसी लाभ के भी दूसरों से झूठ बोलते हैं, शनिदेव उन्हें दंडित करते हैं। 

परनिन्दा करने वाला

  • पीठ पीछे दूसरों की बुराई करने वाले को भी शनिदेव काम के अनुसार दंड देते हैं। ये आर्थिक नुकसान, पारिवारिक कलह या बीमारी हो सकता है।

झूठ बोलने वाला

  • झूठ बोलने वालों पर भी शनिदेव क्रोधित रहते हैं। ऐसे लोग चाह कर भी उन्नति नहीं कर पाते। 

गलत आदतों को ना छोड़ने वाला

  • गलत आदतों जैसे चोरी डकैती, मदिरा पीना, परस्त्री गमन इत्यादि करने वालों पर भी  शनिदेव का क्रोध रहता है। शनिदेव ऐसे लोगों को हमेशा बीमार और कंगाल रखते हैं। 

गरीब और कमजोर को सताने वाला

  • शनिदेव न्याय के देवता हैं। गरीब और कमजोर लोगों के हित में खड़े हैं। ऐसे में कमजोरों को सताने वाला और गरीब को परेशान करने वाले को शनिदेव कभी माफ नहीं करते। ऐसे लोग इसी जीवन में शनिदेव की टेढ़ी नजर के शिकार बने रहते हैं।

मेहनत न करने वाला 

  • शनिदेव कर्म प्रधान देवता है। जो लोग काम से जी चुराते हैं, काम न करने के बहाने  खोजते हैं औऱ आलस्य दिखाते हैं, ऐसे लोगों के लिए शनिदेव कभी शुभ फल प्रदान नहीं करते। शनिदेव ऐसे कामचोर लोगों पर तिरछी नजर रखते हैं जिससे इनके जीवन में कंगाली, आर्थिक विपन्नता बनी रहती है।
  • डिस्क्लेमर : ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है. पालीवाल वाणी समूह इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता.
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