एप डाउनलोड करें

सुरक्षा में चूक नहीं, जवाब में झलकती है असली ताकत: अब भारत की बारी है : डॉ. पर्विंदर सिंह

आपकी कलम Published by: Ravindra Arya Updated Tue, 29 Apr 2025 10:03 PM
विज्ञापन
सुरक्षा में चूक नहीं, जवाब में झलकती है असली ताकत: अब भारत की बारी है : डॉ. पर्विंदर सिंह
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

ज़रायल की मानी हुई सशक्त सुरक्षा एजेंसियां भी हमास के हमले को पूरी तरह नहीं रोक पाईं

Ravindra Arya

पाकिस्तान राजस्थान के साथ लंबी सीमा साझा करता है। गुजरात के कच्छ और बनासकांठा का इलाका भी पाकिस्तान से लगता है, साथ ही पंजाब भी सीमा से जुड़ा है। इसके बावजूद, पाकिस्तानी आतंकवादी इन इलाकों में कभी घुसपैठ नहीं करते। कारण स्पष्ट है-उन्हें यहां स्थानीय समर्थन नहीं मिलता। स्थानीय नागरिक उनके इरादों के खिलाफ हैं और उनकी मदद नहीं करते।

सके विपरीत, कश्मीर का परिदृश्य अलग है। यह कई बार सिद्ध हो चुका है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों को कश्मीर में स्थानीय समर्थन प्राप्त होता है। यही कारण है कि आतंकवाद वहां टिक पाया है। भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों ने बार-बार बताया है कि स्थानीय लोग आतंकियों को छिपाते हैं, उन्हें सूचनाएं देते हैं, पनाह देते हैं और भोजन तक उपलब्ध कराते हैं।

आज जब आतंकवादी घटनाएं होती हैं, तब एक नरेटिव फैलाया जाता है कि यह सुरक्षा व्यवस्था की विफलता है या खुफिया एजेंसियों की चूक। लेकिन हमें वैश्विक परिदृश्य को नहीं भूलना चाहिए। इज़रायल की मानी हुई सशक्त सुरक्षा एजेंसियां भी हमास के हमले को पूरी तरह नहीं रोक पाईं। हमास के आतंकी रातोंरात घर-घर घुसे, बच्चों और महिलाओं को उठाया और महीनों सुरंगों में छिपाए रखा।

अमेरिका की गुप्तचर एजेंसियों का स्तर भी दुनिया में सर्वोच्च माना जाता है, फिर भी 9/11 को आतंकवादियों ने हवाई जहाज से वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला कर दिया। सच्चाई यह है कि दुनिया का कोई भी देश यह दावा नहीं कर सकता कि उसके यहां आतंकवादी हमले असंभव हैं। सुरक्षा चक्र कितना भी मजबूत क्यों न हो, अगर कोई जान देने पर तुला हो तो कुछ नुकसान कर ही देगा — चाहे वह गाड़ी से भीड़ पर चढ़ जाए या किसी अन्य रूप से हमला करे।

यह एक हॉकी मैच की तरह है-जब सामने वाली टीम बार-बार हमले करेगी, तो चाहे डिफेंस कितना भी मजबूत हो, एक-दो गोल तो होंगे ही। हजारों किलोमीटर लंबी सीमाओं वाले देश में पूरी तरह शून्य घुसपैठ कराना असंभव है। कश्मीर जैसे कठिन भूभाग में हजारों जगह ऐसी हैं जहां पर्यटकों या आम नागरिकों पर हमला किया जा सकता है। वहां भारतीय सेना लगातार बिना रुके दिन-रात आतंक का मुकाबला कर रही है। भारत की आजादी के बाद चारों युद्धों में जितने सैनिक बलिदान हुए, उससे अधिक सैनिक कश्मीर में बिना घोषित युद्ध के आतंकवाद से लड़ते हुए शहीद हो चुके हैं।

मूल प्रश्न यह नहीं है कि हमले को पूरी तरह रोका जा सकता था या नहीं। असली सवाल यह है कि हम गोल खाने के बाद कैसे पलटवार करते हैं। अमेरिका ने 9/11 के बाद अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ व्यापक युद्ध छेड़ा। इज़रायल ने हमास के हमलों के बाद जबरदस्त जवाब दिया। अब बारी भारत की है।

हां, संभव है कि सुरक्षा एजेंसियों से कोई चूक हुई हो। लेकिन भारत की सेना और सुरक्षाबलों से देश को यह अपेक्षा है कि वे ऐसा जवाब देंगे कि अगली बार किसी भी दुश्मन की हिम्मत कांप उठेगी। अब वक्त है कि भारत यह दिखाए कि जब उसकी सहनशीलता का अंत होता है, तो उसका प्रहार कैसा होता है।

डॉ. पर्विंदर सिंह : एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स पुरस्कार विजेता - (अमेरिका)

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next