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मोटा बाप रो

आपकी कलम Published by: राजेन्द्र सनाढ्य राजन Updated Fri, 07 Feb 2025 10:47 AM
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के तो देई न जाणों,

के छोड़ न जाणों, 

पछे भेळों कर-कर न, 

अतरो क ई वणें स्याणों।

 

ठीक-ठाक वणाई ले, 

रेवां रो एक ठकाणों,

लोन लेई न बंगळों, 

वणाई न किने वताणों। 

 

पेट पापड़ वणी रो, 

भरपेट खाई ले खाणों,

कबूतर बिचारा टूंगी रा, 

वणा नी नाक दाणों।

 

मोटा बाप रो वण न, 

अठै किने जताणों,

अणी अंधेर नगरी मा, 

मती वण राजा काणों।

 

मोटो दिल राख, 

आपाणें किने हराणों,

आपाणें कणी ऊँ भी, 

क ई सम्मान नी पाणों।

 

फालतु रो,फोकट मा, 

रे-रेन मन नी दुखाणों,

कजाणा कणी दन, 

परो वेई उठाणों।

 

राजन राम नाम रो, 

भेळों कर खजाणों,

क ई लारे नी आवें, 

अठु खाली हाथ जाणों। 

 

 राजेन्द्र सनाढ्य राजन

व्याख्याता- रा.उ.मा. वि. नमाना

नि-कोठारिया, जि-राजसमंद, राजस्थान M. 9982980777

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