उदयपुर। आलोक संस्थान सैक्टर 11 उदयपुर, राजस्थान महर्षि वेदव्यास सभागार में कक्षा 6 से 12 तक छात्र-छात्राओं के लिए हिन्दी कविता पाठ का आयोजन किया गया। काव्य के सभी रस, मुख्यत : वीर, ह्यस, श्रृंगार, देशभक्ति, वात्सल्य इत्यादि का प्रयोग कर बच्चों द्वारा काव्य-पाठ किया गया। इस मौके पर पालीवाल समाज की समाजसेविका हेमलता पालीवाल ने भी एक से बढकर एक कविता का रसास्वादन कराया। हेमलता पालीवाल ने आलोक संस्थान के प्रति कहा कविता का स्वभाव’ विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि कविता स्वभावत : स्वाधीन होती है। इसमे प्रयोग और परिवर्तन की अपार संभावनाएं होती हैं। यह जन आकांक्षा को स्वर देती है। इसमें प्रकाश की दीर्घकालिक प्रक्रिया होती है। उन्होंने कहा की कविता भाषा के भीतर विकल्प की तलाश है। गूँज कविता का प्रमुख स्वाभाविक गुण है। जितनी बड़ी कविता होगी उसकी गूँज उतनी ही गहरी और विस्तृत करने का मुझे सौभाग्य मिला। आप सभी का हृदय से आभार। बच्चों के द्वारा प्रस्तृत कविताओं को मौजूद श्रोताओं ने खूब सराहा।
पालीवाल वाणी ब्यूरो-जशवंत पालीवाल ( जयंत)...✍
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