\भले ही सत्ता पक्ष और विपक्ष में हर जगह वाद-विवाद होता दिखे,तमाम मुद्दों को लेकर खींचातानी होती दिखे लेकिन अपने फायदे के मुद्दे में दोनो एक साथ हो ही जाते हैं दरअसल छत्तीसगढ़ राज्य में जनप्रतिनिधियों के वेतन भत्ते में वृद्धि का प्रस्ताव पास हो गया है।पक्ष और विपक्ष किं सहमति से वेतन भत्ते से सम्बंधित चार संशोधन विधेयक पास किए गए हैं।
अब प्रदेश में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर विधायकों और जनप्रतिनिधियों के वेतन भत्तों में बढ़ोतरी होने वाली है. इस संबंध में विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन शुक्रवार को अलग-अलग चार प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए थे. इसके तहत अब मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष और विधायकों को बढ़ा हुआ वेतन मिलेगा. इस वृद्धि के प्रस्ताव में 30 से लेकर 50 फीसदी तक वेतन वृद्धि का प्रस्ताव है. अब वेतन और भत्ता वृद्धि के प्रस्ताव को सदन में रखा गया. अब तक विधानसभा की परंपरा रही है कि सदस्यों के वेतन भत्ते संबंधित प्रस्ताव को सर्वसम्मति से बिना चर्चा के पास किया जाता रहा है. उसी परंपरा के तहत इसे अनुमति दे दी जाएगी.
-मुख्यमंत्री 135000 -से बढ़ कर 205000
-मंत्री 130000 से बढ़कर 190000
-संसदीय सचिव :- 121000 से बढ़कर 175000
-विधानसभा अध्यक्ष :- 132000 -से बढ़कर 195000
-विधानसभा उपाध्यक्ष :- 128000 सेबढ़कर 180000
-नेता प्रतिपक्ष :- 130000 सेबढ़ कर 190000
-विधायक :- 95000 से बढा 160000 तक हो जाएगा
इन सभी की वेतन बृद्धि से राज्य के खजाने में जो अतिरिक्त भार आएगा उसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
–विधायकों के वेतन, भत्ते और पेंशन में 04 करोड़ 68 लाख रुपये प्रतिवर्ष बढ़ोत्तरी का अतिरिक्त भार
–विधानसभा अध्यक्ष के वेतन,भत्ते, पेंशन में प्रतिवर्ष 7 लाख 56 हजार रुपये वृद्धि का अतिरिक्त वित्तीय भार
–विधानसभा उपाध्यक्ष के वेतन,भत्ते, पेंशन में प्रतिवर्ष 6 लाख 24 हजार रुपये वृद्धि का अतिरिक्त वित्तीय भार,
-मुख्यमंत्री और मंत्रियों के वेतन,भत्ते, पेंशन में प्रतिवर्ष 01 करोड़ 92 लाख रुपये बढ़ोत्तरी का अतिरिक्त वित्तीय भार
-नेता प्रतिपक्ष के वेतन, भत्ते और पेंशन में 07 लाख 20 हजार रुपये सालाना बढ़ोत्तरी का अतिरिक्त भार