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तिरछी वाणी...सोगाला का सामूहिक आयोजन क्यों हुआ फेल-नाचना जरूरी था...!

इंदौर Published by: Sunil paliwal-Anil bagora Updated Mon, 16 Mar 2020 03:21 AM
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(सुनील पालीवाल की कलम से...) पालीवाल ब्राह्मण समाज 44 श्रेणी इंदौर में 10 मार्च 2020 को एक सामुहिक सोगाला का कार्यक्रम का प्रथम प्रयास किया गया...! जब पर्चा घर -घर पहुंचा तो जिम्मेदारों की पहल सबको अच्छी लगी...पर्चा जिम्मेदारों ने निकला तो उसमें कितनी विसंगति हुई उसे भी देखने पढ़ने ओर समझने की जरूरत थी...अधिकांश जिम्मेदार लोग शायद पढ़े लिखे हुए...ऐसा मेरा सोचना है, फिर भी गलती हो गई या जानबुझकर गलती करना समझ से परे है, इतनी जल्दी किया जो इतनी गलती करने के बाद समाज में कौन सा संदेश देना चाहते है, जिम्मेदारों को समझ में नहीं आता तो...अभी हालही में अधिकांश समाज के युवाओं ने बेहतर प्रदर्शन किया है, काश उनसे भी राय ले लेते तो बेहतर होता...लेकिन कहवात है, हम करे तो सही...दुसरा करें तो गलत...आते है फिर सामुहिक सोगाला का कार्यक्रम जब शुरूआत हुई...शुरूआत में ही कई के शिर शर्म से झुक गए...क्योंकि होली के अवसर पर उन परिवारों में गुलाल ओर रंग डालने का विशेष महत्व होता है, जिन परिवारों में कोई दिवंगत हो जाता हैं....समाजजन उन परिवारों के घर जाकर गम का रंग डालते हैं। समय ओर परिवर्तन के माहौल को देखते हुए प्रबंधकार्यकारिणी ने सर्वसहमति से एक साहसिक निर्णय लेते हुए एक सुखद पहल की...उस पहल में प्रथम बार समाजजनों को अलग-अलग स्थानों पर नहीं जाना पड़े, इसको लेकर पालीवाल समाज ने पहल की ओर श्री चारभुजानाथ मंदिर, पालीवाल समाज धर्मशाला इंदौर पर उन परिवारों को बुला लिया। समाज में ऐसे तो कई परिवार में गमी हुई...लेकिन उन परिवार वालों ने समाज के सामूहिक आयोजन से दुरी बनाकर रखी...ओर जो पहुंचे उनके मन काफी व्यथित नजर आए...क्योंकि जो नजारा देखा गया...वो काफी शर्म वाली स्थिति थी...गमी के समय नृत्य करना, नाचना गाना समझ से परे नजर आया...वैसे भी गिनती के लोग पहुंचे जो उनके मन भी काफी दुखी हुए...क्या गमी परिवार उनके नाचने और गाने देखने सुनने पहुंचा था...वो तो गम का रंग समाजजनों के साथ रंग डालने के लिए शामिल हुआ था...कई वरिष्ठजनों की आयोजन से दुरी बनाना भी आश्चर्यजनक हैं...समाज में युवाओं की भारी संख्या है लेकिन उनकी कमी भी खली...मातृशक्ति भी क्यों नजर नहीं आई... इस पर भी जिम्मेदारों को अवश्य मंथन करना चाहिए...फिर कैसे कहे सकते है कि सोगाला का सामूहिक आयोजन सफल हुआ, कई सम्मानियजनों ने दबी जबान से कहा कि ऐसे आयोजन दो माह पूर्व जिम्मेदारी पूर्वक लेकर फैसला करना चाहिए... प्रबंध कार्यकारिणी भी पूरी नजर नहीं आई...जो आए...वो भी गम में कम लेकिन दांत दिखाते हुए ज्यादा नजर आए...ऐसे आयोजन में जिम्मेदारी दिखाना चाहिए...हम किस माहौल में ओर किस स्तर पर काम कर रहे है। लेकिन यहां भी तमाशाबीन दिखाई दिए...सोशल मीडिया पर कुछ विडियो मस्ती के नाचते, गाते हुए वायरल हुए...वो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। फिर बोल सकते है कि प्रबंधकार्यकारिणी का एक अच्छा प्रयास रहा...लेकिन फेल कैसे हुआ...उस पर जरूर मंथन कर भविष्य में समाज के आयोजन को कैसे सफल हो...उस पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है... अध्यक्ष, मंत्री ने एक साहसिक निर्णय लेने का साहस दिखाया, वो काबिले तारीफ रहा... तारीफ क्यों हो रही है, इस पर समाजजनों के बीच जाकर उनके विचार जनाना जरूरी है, क्योंकि शाम को एक भव्य ढुंढ के आयोजन में आई भीड़ ने दर्शा दिया है कि उन्हें पब्लिक क्यों कहते हैं...! फिर ना कहेना कि तिरछी वाणी हम ही क्यों घूमती हैं...!

!! आओ चले बांध खुशियों की डोर...नही चाहिए अपनी तारीफो के शोर...बस आपका साथ चाहिए...समाज विकास की ओर !!

● पालीवाल वाणी ब्यूरो- Sunil Paliwal-Anil Bagora...✍

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