राजसमन्द
बसंतोसव में स्वर की देवी संगीत तुजसे...
नीलेश पालीवालराजसमंद (राज.)। सेठ रंगलाल कोठारी राजकीय महाविद्यालय राजसमंद में बसंतोसव 2017 महाविद्यालय के प्राचार्या श्री जगदीश प्रसाद जोशी के आतिथ्य में हर्षोउल्लास से मनाया गया। मिडिया प्रभारी नीलेश पालीवाल ने पालीवाल वाणी को बताया कि विद्यार्थियों ने माहविद्यालय परिसर में स्थित माँ सरस्वती के मंदिर को फूल, माला, गुबारों, फरियो, गमलों आदि से सुव्यस्थित रूप से सजाया। कार्यक्रम में सर्व प्रथम प्राचार्य श्री जगदीश प्रसाद जोशी ने माँ शारदे के समक्ष दीप प्रवजलन किया। छात्र हुकुम सिंह राव ने सभी विद्यार्थियों के तिलक लगाया।
माँ सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है-श्री जगदीश प्रसाद जोशी
कार्यक्रम में सभी व्यख्याताओ और विद्यार्थियों ने मिल कर प्रार्थना का गान किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य ने अपने भाव प्रकट करते हुए बताया कि भारत देश में अनेक त्यौहार मनाये जाते है और हर त्यौहार का अपना अलग महत्व है। इन्हीं त्यौहारों में से एक है बसंत पंचमी का त्यौहार। हिन्दू संस्कृति सनातन धर्म में वसंत पंचमी यानी मां सरस्वती की पूजा का भी एक विशेष महत्व है हिन्दू धर्म में माँ सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है तो स्वाभाविक है की इस सभी पढने वाले विद्यार्थी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन जिस प्रकार विशेष रूप से देवी सरस्वती की पूजा का अपना महत्व है उसी प्रकार पीले रंग को भी लोग इस दिन एक अलग रूप में महत्व देते हैं। पीले रंग हिन्दु शुभ रंग के रूप में देखते हैं।
हिन्दू सांस्कृति परंपरा में पीले रंग को बहुत शुभ-श्रीमती शर्मा
महाविद्यालय की वरिष्ठ व्यख्याता श्रीमती शकुन्तला शर्मा ने विद्यार्थियों को बताया कि हिन्दू सांस्कृति परंपरा में पीले रंग को बहुत शुभ माना जाता है। पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा और सौम्य उष्मा का प्रतीक माना जाता है। इस रंग को बसंती रंग भी कहा जाता है। भारत में विवाह, मुंडन आदि के निमंत्रण पत्रों और पूजा के कपड़े को भी पीले रंग से रंगा जाता है। ग्रामीण इलाकों के लोग ज्यादातर बसंत ऋतु के शुरू होते ही पीली सरसों के खेतों में इस पर्व का आगाज करते हैं। वसंत ऋतु आने के बाद ही होली के त्यौहार की शुरूआत हो जाती है। बता दें कि फाल्गुन महीने में रंगों का त्यौहार होली मनाया जाता है। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी व्यख्याता सभी कर्मचारी एवं सभी विद्यार्थी उपस्थित थे।
पालीवाल वाणी ब्यूरो-नीलेश पालीवाल