राजसमन्द

सकारात्मक ढंग से सोचने वाला दु:खी नहीं बनता: मुनि

Suresh Bhat
सकारात्मक ढंग से सोचने वाला दु:खी नहीं बनता: मुनि
सकारात्मक ढंग से सोचने वाला दु:खी नहीं बनता: मुनि

राजसमंद। भिक्षु बोधि स्थल में मुनि जतनमल स्वामी के सान्निध्य में  आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिआनन्द कुमार ने कहा कि अपने सुख-दुख कर्ता व्यक्ति स्वयं है। बहुत सारे लोग कठिनाईयां या प्रतिकूल परिस्थिति आने पर भगवान को भी गालियां देना शुरू कर देते है और रो-रोकर अपने दु:खों को और अधिक बढ़ा लेते है। वास्तव में कोई भी व्यक्ति दु:खी बनता है तो किसी परिस्थिति के कारण नहीं, बल्कि अपने विचार के कारण, अपनी आदतों, अपनी ईच्छाओं और अपने ही व्यवहार के कारण दु:खी बनता है। सकारात्मक ढंग से सोचने वाला व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी कभी दु:खी नहीं बनता। थोड़ी सहनशीलता रखी जाए और भाषा को संयमित रखा जा सकता है। पानी की तरह शब्दों को भी छानकर काम में लेना चाहिए। इस अवसर पर अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।
न्यूज सर्विस

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