आमेट

भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार 5 अक्टुम्बर से

Yogesh Paliwal
भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार 5 अक्टुम्बर से
भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार 5 अक्टुम्बर से

आमेट। भारतीय संस्कृति के मूल ओर हमारे प्राचीनतम ग्रंथ वेद के अध्ययन ओर अध्यापन में संलग्न वैदिकों के लिए अत्यंत्र शुभ समाचार है कि भारत में प्रथम बार वैदिकों को वेदसेवा में समर्पित अब तक का सर्वोच्च पुरस्कार भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्कार इस वर्ष शुरूआत होकर प्रतिवर्ष प्रदान किया जाएगा। आवेदन पत्र www.bharatatmapuraskar.org से डाउनलोड कर भेजा जा सकता है।

चयनित वेदविद्यालय, वेदाध्यापक ओर वेद विद्यार्थी को

इस पुरस्कार में चयनित वेदविद्यालय, वेदाध्यापक ओर वेद विद्यार्थी को क्रमशः सात लाख, पाँच लाख और तीन लाख रुपये की राशि ओर प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्कार सिंघल फाउंडेशन द्वारा 5 अक्टुम्बर 17 को नई दिल्ली में प्रदान किया जाएगा। 2017 के पुरस्कार हेतु आवेदन पत्र की अंतिम तिथि 14 अगस्त है। पिछले 12 वर्षो से वेदाध्यापन करा रहें, वेदविद्यालय, 10 वर्षो से वेदाध्यापन करा रहें वेदाध्यापक ओर क्रम अथवा घनस्तर तक वेदाध्ययन करने वाले विद्यार्थी पुरस्कार हेतु आवेदन करने के योग्य होंगे। 

स्व. अशोक जी सिंघल की स्मृति में प्रथम बार

यह पुरस्कार भारतात्मा स्व. अशोक जी सिंघल की स्मृति में सिंघल फाउंडेशन द्वारा प्रथम बार प्रदान किया जा रहा है। सिंघल फाउंडेशन (एक पंजीकृत न्यास) की स्थापना स्व. श्री पी.पी. सिंघल के तीन पुत्रों ने मिलकर की थी। श्री पी.पी. सिंघल भारतात्मा अशोक जी सिंघल के अग्रज थे। इस फाउंडेशन की स्थापना का उद्देश्य उन परोपकारी कार्यों को जारी रखना था जो स्व. श्री पी.पी. सिंघल ने अपने जीवन काल में किये थे। सिंघल फाउंडेशन शिक्षा के विकास में अच्छे और योग्य कार्यों के लिये जरूरतमंद छात्रों, वैदिकों, विद्यालयों, खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों, दिव्यांगों और अनाथ बच्चों के विद्यालयों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है।

अशोक सिंघल जी ने तीन विश्व वेद सम्मेलन आयोजित करवाए

अशोक सिंघल द्वारा हिन्दुत्व के उत्थान के लिये किए गए कार्य जग जाहिर है । लेकिन जो कम ज्ञात है वो है उनका वेद ज्ञान और वेदों और वैदिक शिक्षा के प्रसार प्रचार लिये उनके द्वारा किए गए कार्य कानपुर में संघ प्रचारक के रूप में काम करते हुए अशोकजी अपने गुरुदेव के द्वारा वेदों के अध्ययन के लिए प्रेरित हुए । गुरुदेव का वेदों और शास्त्रों का ज्ञान किसी से भी कम नहीं था। संघ के प्रति अपने कर्तव्यों और वेदों के प्रति उनकी इच्छा के बीच फंसने पर उन्होंने तत्कालीन सरसंघचालक, गुरुजी गोवलकर जी से इस दुविधा से निकलने में मार्गदर्शन मांगा । जब गुरुजी गोवलकर ने उन्हें वैदिक ज्ञान की उनकी इच्छा का अनुसरण करने की आज्ञा दी तो गुरुदेव ने यह सलाह दी कि वेदों का ज्ञान और संघ का नेक कार्य दोनों साथ किये जा सकते हैं ।इस प्रकार हिन्दुत्व की सेवा की उनकी लम्बी यात्रा शुरू हुई जिसमें संघ के अन्तर्गत विश्व हिन्दु परिषद का गठन भी शामिल था। अशोक जी की यह दृढ़ मान्यता थी कि सिर्फ वेदों के संरक्षण और विस्तार द्वारा ही भारतीय संस्कृति जीवित रह सकती है। अपने कार्यों के द्वारा अशोक जी ने तीन विश्व वेद सम्मेलन आयोजित करवाए जिनमें पहला सन 1992 में हुआ । ये सम्मेलन, विश्व के सर्वोच्च वेद पंडितों का अद्भुत जमावड़ा थे, ने विश्व के वेद पंडितों को एक साथ लाने का काम किया और यह बताया कि हिन्दू जीवन और संस्कृति में वेदों का कितना योगदान है। इनके नेतृत्व में विश्व हिन्दू परिषद ने अनेक वेद विद्यालय शुरू किए जो आज भी चल रहे हैं । प्रयाग में अशोक जी के पैतृक निवास का एक हिस्सा ऐसे ही एक विद्यालय को सौंप दिया गया।
संपर्क :- सिंघल फाउंडेशन
पोस्ट बॉक्स 170, उदयपुर 313001
फोन: +91 294 3062120
सिंहल फाउंडेशन, भारतात्मा पुरस्कार, पुरस्कार के लिए आवेदन www.bharatatmapuraskar.org
ई-मेल: info@singhalfoundation-udaipur.org

पालीवाल वाणी ब्यूरो-योगेश पालीवाल
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